नयी दिल्ली, 17 दिसंबर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि वाणिज्य मंत्रालय को निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ईपीसीजी योजना की ठीक से निगरानी करने की जरूरत है। यह योजना न केवल पूंजीगत वस्तुओं के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति देती है, बल्कि निर्यात दायित्व को पूरा करने के लिए लंबा समय भी देती है।
ईपीसीजी (निर्यात संवर्धन पूंजीगत सामान) योजना वस्तु उत्पादन के लिए शून्य सीमा शुल्क पर पूंजीगत वस्तुओं के आयात की अनुमति देती है। हालांकि, यह निर्यात दायित्वों को पूरा करने पर निर्भर करता है।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना पंजीकृत बंदरगाह के अलावा अन्य बंदरगाहों से पूंजीगत वस्तुओं के आयात में एक ही मंजूरी पत्र का उपयोग करके कई बंदरगाहों से माल आयात करने को लेकर राजस्व और दुरुपयोग का जोखिम भी होता है।
कैग ने बयान में कहा कि सीमा शुल्क और क्षेत्रीय अधिकारियों को ऐसे मामलों की ईमानदारी से निगरानी करनी चाहिए और अनुपालन न करने पर दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने संसद में योजना के प्रदर्शन पर ऑडिट रिपोर्ट पेश की है।
इसमें कहा गया है, ‘‘यह योजना न केवल पूंजीगत वस्तुओं के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति देती है, बल्कि निर्यात दायित्व को पूरा करने के लिए लंबी अवधि की अनुमति भी देती है। इसीलिए योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा विधिवत निगरानी की जरूरत है।’’
प्रदर्शन ऑडिट का मकसद यह पता लगाना था कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) और सीमा शुल्क विभाग द्वारा जारी मंजूरी पत्र का उपयोग और क्रियान्वयन कुशल और प्रभावी तरीके से किया जा रहा है या नहीं।
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