'Digital Arrest': प्रधानमंत्री मोदी ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के बढ़ते मामलों पर जताई चिंता, ‘रूको, सोचो और एक्शन लो’ का दिया मंत्र

नयी दिल्ली, 27 अक्टूर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए इससे बचने के लिए रविवार को देशवासियों से ‘रूको, सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र साझा किया और इस बारे में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाने का आह्वान किया. आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 150वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ से जुड़े एक फरेबी और पीड़ित के बीच बातचीत का वीडियो भी साझा किया और कहा कि कोई भी एजेंसी न तो धमकी देती है, न ही वीडियो कॉल पर पूछताछ करती है और न ही पैसों की मांग करती है. इंटरनेट के तेजी से बढ़ते उपयोग के बीच ‘डिजिटल अरेस्ट’ फरेब का एक बड़ा माध्यम बनता जा रहा है. इसमें किसी शख्स को ऑनलाइन माध्यम से डराया जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से अरेस्ट हो गया है और उसे जुर्माना देना होगा. कई लोग ऐसे मामलों में डर जाते हैं और शिकार बन जाते हैं. प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ के दर्शकों को विस्तार से बताया कि इस प्रकार के फरेब करने वाले गिरोह कैसे काम करते हैं और कैसे ‘खतरनाक खेल’ खेलते हैं.

उन्होंने कहा कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ के शिकार होने वालों में हर वर्ग और हर उम्र के लोग हैं और वे डर की वजह से अपनी मेहनत से कमाए हुए लाखों रुपए गंवा देते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह का कोई कॉल आए तो आपको डरना नहीं है. आपको पता होना चाहिए कि कोई भी जांच एजेंसी फोन कॉल या वीडियो कॉल पर इस तरह पूछताछ कभी नहीं करती.’’ उन्होंने इससे बचने के लिए देशवासियों से ‘रूको, सोचो और एक्शन लो’ का मंत्र साझा किया. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे मामलों में घबराएं नहीं. शांत रहें. जल्दबाजी में कोई कदम ना उठाएं. किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी ना दें. संभव हो तो स्क्रीनशॉट लें और रिकॉर्डिंग जरूर करें.’’ उन्होंने कहा कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर ऐसी धमकी नहीं देती और न ही पूछताछ करती है और न वीडियो कॉल पर ऐसे पैसे की मांग करती है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर डर लगे तो समझिए कुछ गड़बड़ है.’’ प्रधानमंत्री ने लोगों से ऐसे मामलों में राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर डायल करने और साइबर क्राइम डॉट जीओवी डॉट इन पर रिपोर्ट करने के अलावा परिवार और पुलिस को सूचना देने का आह्वान किया. यह भी पढ़ें : भारत में कोविड के दीर्घकालिक प्रभावों से पीड़ित मरीजों का इलाज चिकित्सकों के लिये चुनौती

उन्होंने कहा, ‘‘सबूत सुरक्षित रखें. यह तीन चरण आपकी डिजिटल सुरक्षा का रक्षक बनेंगे. मैं फिर कहूंगा डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज नहीं है. यह सिर्फ फ्रॉड है, झूठ है और फरेब है. बदमाशों का गिरोह है और जो लोग ऐसा कर रहे हैं वह समाज के दुश्मन हैं.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर जो फरेब चल रहा है उससे निपटने के लिए तमाम जांच एजेंसी राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं और आपसी तालमेल के लिए नेशनल साइबर कोआर्डिनेशन केंद्र की स्थापना की गई है. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे फ्रॉड करने वाली हजारों वीडियो कॉलिंग आईडी को ब्लॉक किया गया है. लाखों सिम कार्ड और बैंक अकाउंट को भी ब्लॉक किया गया है.’’ मोदी ने कहा कि ऐसे मामलों में एजेंसियां अपना काम कर रही हैं लेकिन डिजिटल अरेस्ट के नाम पर हो रहे फरेब से बचने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है. उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों सहित हर जगह इसके बारे में लोगों से जागरूकता फैलाने का आह्वान किया.