नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर को लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर ‘मेरा युवा भारत’ नामक एक संगठन की नींव रखे जाने की घोषणा की, जो राष्ट्र निर्माण से जुड़े विभिन्न आयोजनों में देश के युवाओं को सक्रिय भागीदारी करने का अवसर देगा. आकाशवाणी पर रविवार को प्रसारित मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 106वीं कड़ी में देशवासियों से अपने विचार साझा करते हुए मोदी ने पिछले कुछ वर्षों में खादी से जुड़े उत्पादों की बिक्री में हुए इजाफे का जिक्र किया। उन्होंने देशवासियों से एक बार फिर स्थानीय उत्पादों को अधिक से अधिक खरीदने की अपील की और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को पूरा करने का आह्वान किया.
मोदी ने कहा कि वह ‘मन की बात’ के जरिये देशवासियों, विशेषकर उन युवाओं के लिए एक खुशखबरी साझा कर रहे हैं, जिनके दिलों में भारत के लिए कुछ करने का जज़्बा, सपने और संकल्प हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यह खुशखबरी देशवासियों के लिए तो है ही है, मेरे नौजवान साथियों आपके लिए विशेष है. दो दिन बाद ही 31 अक्टूबर को एक बहुत बड़े राष्ट्रव्यापी संगठन की नींव रखी जा रही है और वो भी सरदार साहब की जयंती के दिन. इस संगठन का नाम है ‘मेरा युवा भारत’ यानी ‘माई भारत संगठन.’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह संगठन भारत के युवाओं को राष्ट्र निर्माण से जुड़े विभिन्न आयोजनों में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देगा. यह विकसित भारत के निर्माण में भारत की युवा शक्ति को एकजुट करने का एक अनोखा प्रयास है.’’ मोदी ने इसके लिए ‘माई भारत डॉट जीओवी डॉट इन’ नाम से एक वेबसाइट शुरु किए जाने की घोषणा करते हुए युवाओं से इस पर पंजीकरण कराने और विभिन्न कार्यक्रमों के लिए ‘साइन अप’ करने की अपील की.
प्रधानमंत्री ने इस महीने की शुरुआत में गांधी जयंती के अवसर पर दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित खादी भंडार में एक ही दिन में डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा की बिक्री का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘10 साल पहले देश में जहां खादी उत्पादों की बिक्री बड़ी मुश्किल से 30 हजार करोड़ रुपये से भी कम की थी, आज यह बढ़कर सवा लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गई है.’’ उन्होंने कहा कि खादी की बिक्री बढ़ने का मतलब है कि इसका फायदा शहर से लेकर गांव तक में अलग-अलग लोगों तक पहुंचता है.
मोदी ने कहा कि इस बिक्री का लाभ बुनकरों, हस्तशिल्प कारीगरों, किसानों, आयुर्वेदिक पौधे लगाने वालों और कुटीर उद्योगों को मिलता है.प्रधानमंत्री ने इसे ‘वोकल फोर लोकल’ अभियान की ‘ताकत’ बताते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि वे जब भी पर्यटन या तीर्थटन पर जाएं, तो वहां के स्थानीय उत्पादों को जरूर खरीदें. उन्होंने लोगों से अपनी यात्रा के कुल बजट के कुछ हिस्से को स्थानीय उत्पादों की खरीदारी के लिए रखने का आग्रह किया.
आगामी त्योहारों का उल्लेख करते हुए मोदी ने लोगों से अपनी खरीदारी में स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया और कहा कि दृष्टि केवल छोटे दुकानदारों और रेहड़ी-पटरी से सामान लेने तक सीमित नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत दुनिया में विनिर्माण का बड़ा केंद्र बन रहा है। कई बड़े ब्रांड यहीं पर अपने उत्पाद तैयार कर रहे हैं. अगर हम उन उत्पादों को अपनाते हैं, तो ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलता है और यह भी ‘लोकल’ के लिए ‘वोकल’ ही होना होता है.’’ प्रधानमंत्री ने ऐसे उत्पादों को खरीदते समय डिजिटल लेन-देन का सहारा लेने का अनुरोध किया.
उन्होंने कहा, ‘‘जब आप भारत में बने, भारतीयों द्वारा बनाए गए उत्पादों से अपनी दिवाली रोशन करेंगे और अपने परिवार की हर छोटी-मोटी आवश्यकता लोकल से पूरी करेंगे, तो त्योहार की जगमगाहट ज्यादा बढ़ेगी. साथ ही स्थानीय लोगों का जीवन शानदार बनेगा। इससे भारत भी आत्मनिर्भर बनेगा.’’ सरदार पटेल की जयंती का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि इस अवसर पर 31 अक्टूबर को गुजरात में ‘स्टैचू ऑफ यूनिटी’ पर एकता दिवस से जुड़ा मुख्य समारोह होता है, लेकिन इस बार इसके अलावा दिल्ली में कर्तव्य पथ पर बहुत ही विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि इस दिन न सिर्फ अमृत कलश यात्रा का, बल्कि पिछले ढाई साल से चल रहे आजादी के अमृत महोत्सव का भी समापन होगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत कलश यात्रा के लिए देशभर से जमा की गई मिट्टी अब दिल्ली पहुंचने लगी है और इस मिट्टी को एक विशाल भारत कलश में रखा जाएगा तथा दिल्ली में अमृत वाटिका बनाई जाएगी. मोदी ने लोगों से इस अवसर पर ‘रन फॉर यूनिटी’ यानी एकता दौड़ का आयोजन करने और इसमें बडी संख्या में शामिल होने की अपील की है.
प्रधानमंत्री ने 31 अक्टूबर को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के मद्देनजर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने साहित्य को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को प्रगाढ़ करने का सबसे बेहतरीन माध्यम करार दिया और इस कड़ी में तमिलनाडु की धरोहर से जुडे दो प्रेरक प्रयासों की चर्चा की. मोदी ने तमिल लेखक शिव शंकरी का जिक्र किया, जिन्होंने साहित्य से देश को धागे में पिरोने और जोड़ने की एक परियोजना को आकार दिया है.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘वह (शंकरी) 16 वर्षों से इस परियोजना पर काम कर रही हैं और उन्होंने 18 भारतीय ओं में लिखे साहित्य का अनुवाद किया है। उन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक और इंफाल से जैसलमेर तक देशभर में यात्राएं कीं, ताकि अलग-अलग राज्यों के लेखकों और कवियों का साक्षात्कार ले सकें. शंकरी ने अपनी यात्रा की कमेंट्री तमिल और अंग्रेजी, दोनों ओं में प्रकाशित की है. मुझे उनकी इस संकल्प शक्ति पर गर्व है.’’
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