देश की खबरें | सामूहिक दुष्कर्म के मामले में प्रयागराज के एसएसपी को अदालत ने तलब किया
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

प्रयागराज, 17 अक्टूबर कथित सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में अदालत के हस्तक्षेप के बावजूद पीड़िता की प्राथमिकी दर्ज करने में तीन महीने का अनुचित विलंब किए जाने को गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और फूलपुर के एसएचओ को 20 अक्टूबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है।

दुष्कर्म की पीड़िता द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने कहा, “मौजूदा याचिका आपराधिक न्याय प्रणाली में अधिकारियों की ढिलाई दर्शाती है।”

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अदालत ने बृहस्पतिवार को पारित आदेश में कहा, “मौजूदा मामले में पुलिस अधिकारियों की ओर से जो ढिलाई की गई है, उसकी बिल्कुल भी व्याख्या नहीं की गई है और यह नहीं बताया गया है कि प्राथमिकी दर्ज करने में तीन महीने का समय क्यों लगा। याचिकाकर्ता का प्रार्थना पत्र एसएचओ के आगे बढ़ाने के अलावा एसएसपी द्वारा क्या कार्रवाई की गई, इसका कोई रिकार्ड नहीं है।”

अदालत ने कहा, “पुलिस अधिकारियों की ढिलाई की वजह से यह मुकदमा गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है। एसएचओ ने 13 अक्तूबर को प्राथमिकी दर्ज की और पीड़िता का डाक्टरी परीक्षण 14 अक्टूबर को कराया गया। अदालत का मानना है कि इस मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है।”

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याचिकाकर्ता का आरोप है कि 11 जुलाई, 2020 को चार लोगों ने उसके साथ सामूहिक रूप से दुष्कर्म किया और उसने प्राथमिकी दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। इसके बाद, 22 जुलाई को पीड़िता ने एसएसपी को पास प्रार्थना पत्र दिया जिसमें उसने लिखा कि उसके भरसक प्रयास के बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है। इसके बाद पीड़िता ने एक बार फिर एसएसपी से 23 जुलाई को संपर्क कर प्राथमिकी दर्ज नहीं किए जाने की बात बताई। अंततः पीड़िता ने 30 जुलाई को इस अदालत का दरवाजा खटखटाया।

निर्देश के मुताबिक, राज्य सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया कि 23 जुलाई को की गई शिकायत को आगे की कार्रवाई के लिए फूलपुर एसएचओ के पास बढ़ाया गया था। अदालत के निर्देश पर 13 अक्तूबर, 2020 को धारा 376-डी (सामूहिक बलात्कार) और अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।

– राजेंद्र

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