गरीबी और जलवायु के साथ ट्रंप की भी चिंता में जी20
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

सोमवार से ब्राजील के रियो डे जनेरो में जी20 की बैठक शुरू हो रही है. गरीबी से लड़ने और जलवायु के लिए धन जुटाने की दिक्कतों के बीच यह चिंता भी है कि साझे कदमों पर अमेरिका के भावी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का रुख क्या होगा?अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन आखिरी बार दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. हालांकि कार्यकाल के आखिरी दिनों में उनका प्रभाव नाम भर का ही होगा. जी20 के दूसरे नेता पहले से ही उनके बाद की परिस्थितियों के बारे में सोचने लगे हैं. अपने पहले कार्यकाल में डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका को वैश्विक जलवायु समझौते से बाहर निकाल लिया था. इस बार की बैठक में सबकी नजरें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर होंगी. डॉनल्ड ट्रंप के "अमेरिका फर्स्ट" एजेंडे के सामने जिनपिंग ने खुद को एक वैश्विक नेता और मुक्त व्यापार के रक्षक के रूप में पेश किया है.

ब्राजील के वामपंथी राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा अपनी मेजबानी का इस्तेमाल कर ग्लोबल साउथ के मुद्दों और जलवायु परिवर्तन से जंग में अपनी महारत दिखाएंगे. बैठक के लिए रियो डे जनेरो की जिस जगह को चुना गया है वह मॉडर्न आर्ट का शानदार म्यूजियम है. हाल ही में ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट के बाहर नाकाम बम धमाका हुआ था. इसमें संदिग्ध धुर दक्षिणपंथी चरमपंथी हमलावर मारा गया. ऐसे में सुरक्षा के उपाय काफी तगड़े हैं.

यह सम्मेलन बाइडेन की कूटनीतिक यात्रा के लिए एक तरह से विदाई समारोह भी होगा. बाइडेन लीमा में एशिया प्रशांत के कारोबारी सहयोगियों से मुलाकात के बाद अमेजन के जंगलों में भी जा रहे हैं. किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की यह पहली अमेजन यात्रा है. कार्यकाल के आखिरी दिनों को चमकाने की कोशिश में जुटे बाइडेन ने जोर दे कर कहा है कि उनका जलवायु रिकॉर्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में भी कायम रहेगा.

जी20 की बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अजरबेजान में कॉप29 जलवायु सम्मेलन हो रहा है. जलवायु सम्मेलन में बातचीत विकासशील देशों के लिए बड़े जलवायु निवेश के मुद्दे पर अटकी हुई है. ऐसे में सबकी नजरें रियो डे जनेरो में किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद पर टिकी हैं.

जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां

संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने जी20 के सदस्यों से करार के लिए "नेतृत्व और सुलह" दिखाने की अपील की है. जी समूह के ये देश दुनिया के 80 फीसदी उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं. ब्राजील के एक कूटनीतिक सूत्र ने कहा कि चीन जैसे तेजी से विकास कर रहे देश, वैश्विक जलवायु परियोजनाओं के लिए धन देने के अमीर देशों के दबाव को नहीं मान रहे हैं. हालांकि सम्मेलन में इस दिशा में कुछ प्रगति की उम्मीद भी जताई गई है.

यह साल चरम मौसमी घटनाओं के लिहाज से बुरा ही साबित हुआ है. बीते दशक में ब्राजील के जंगलों की आग इस साल सबसे भयानक रही थी. इसके लिए रिकॉर्ड सूखे को जिम्मेदार माना गया जिसका जिम्मेदार कुछ हद तक जलवायु परिवर्तन है.

पिछली बार भारत में जी20 की बैठक के दौरान नेताओं ने अक्षय ऊर्जा संसाधनों को इस दशक के अंत तक तिगुना करने की मांग उठाई थी. हालांकि इसमें जीवाश्म ईंधन को पूरी तरह से खत्म करने की बात साफ तौर पर नहीं की गई.

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गरीबी पर ध्यान

इस बैठक के लिए निमंत्रण रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी गया है लेकिन उन्होंने रियो आने से इनकार कर दिया. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी चाहती है, ऐसे में सम्मेलन एक विवाद में फंस सकता था.

79 साल के लूला दा सिल्वा का कहना है कि यूक्रेन और मध्यपूर्व की जंग को सम्मेलन के एजेंडे से दूर रखा जाएगा ताकि गरीबी पर ध्यान दिया जा सके. ग्लोबो न्यूज से बातचीत में रविवार को दा सिल्वा ने कहा, "क्योंकि ऐसा नहीं हुआ तो, हम दूसरी चीजों के बारे में बात नहीं करेंगे जो उन लोगों के लिए जरूरी हैं जो जंग में नहीं हैं, जो गरीब हैं और दुनिया के लिए अदृश्य."

गरीबी में पले बढ़े लूला दा सिल्वा इस सम्मेलन के जरिए, "भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन" की शुरुआत कर रहे हैं. उनका कहना है कि दुनिया के 73.3 करोड़ से ज्यादा भूखे लोग, वो बच्चे जो खाने की अनिश्चितता के बीच सोते जगते हैं उनके पास आज खाना नहीं है लेकिन कल होगा. ब्राजील अरबपतियों पर ज्यादा टैक्स लगाने के लिए भी दबाव बना रहा है.

एनआर/आरपी (एएफपी)