देश की खबरें | ओडिशा के राजभवन में हुई बैठक में राजनीति पर चर्चा नहीं : वेंकैया नायडू का कार्यालय

भुवनेश्वर, चार अक्टूबर पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू के कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि एक सप्ताह पहले यहां राजभवन में ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास से उनकी मुलाकात के दौरान किसी राजनीतिक मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई थी। ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सक्रिय राजनीति में लौटने के इच्छुक हैं।

नायडू और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने 27 सितंबर को दास से मुलाकात की। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी भी वहां मौजूद थे।

शर्मा झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के सह-प्रभारी भी हैं। झारखंड में इस साल के अंत में चुनाव होने वाला है।

‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, नायडू के कार्यालय ने कहा कि यह एक शिष्टाचार भेंट थी।

इसमें कहा गया, “इस शिष्टाचार भेंट के पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं होना चाहिए और भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति के कार्यालय को इस तरह के राजनीतिक विवाद में घसीटना स्पष्ट रूप से अनुचित है।”

यह बयान विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) द्वारा आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद आया है कि झारखंड चुनाव से पहले ओडिशा राजभवन भाजपा के लिए ‘युद्ध कक्ष’ बन गया है और राजभवन की गरिमा को ठेस पहुंची है।

कयास लगाए जा रहे हैं कि 2014 से 2019 के बीच झारखंड के मुख्यमंत्री रहे दास अपने गृह राज्य की राजनीति में वापसी करना चाहते हैं।

राजभवन में 27 सितंबर को बैठक के बाद असम के मुख्यमंत्री ने कहा था कि ओडिशा के राज्यपाल के साथ उनकी बातचीत व्यक्तिगत है और इसका झारखंड चुनाव से कोई संबंध नहीं है।

नायडू के कार्यालय ने पोस्ट में कहा कि पूर्व उपराष्ट्रपति एशियन स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट (एएसबीएम) के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने के लिए भुवनेश्वर में थे और यह कार्यक्रम महीनों पहले से निर्धारित था।

पोस्ट में कहा गया, “प्रोटोकॉल के अनुसार पूर्व उपराष्ट्रपति राजभवन में रुकते हैं और राज्यपाल तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा शिष्टाचार के तौर पर पूर्व उपराष्ट्रपति से मुलाकात करने की प्रथा है।”

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