नयी दिल्ली, 19 नवंबर आम आदमी पार्टी (आप) छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए दिल्ली के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी को छोड़ना उनके लिए बहुत कठिन निर्णय था लेकिन यह जरूरी हो गया था।
जाट बहुल नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का 2015 से प्रतिनिधित्व कर रहे गहलोत ने मंगलवार को ‘पीटीआई-वीडियो’ के साथ एक साक्षात्कार में आप छोड़ने के अपने कदम को “बेहद भावनात्मक” बताया। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आप को 10 साल दिए। यह फैसला (पार्टी छोड़ने का) मेरे लिए आसान नहीं था। यह बेहद भावनात्मक था। यह मेरे द्वारा लिए गए सबसे कठिन फैसलों में से एक था, लेकिन मेरा मानना है कि यह सर्वश्रेष्ठ था।’’
गहलोत ने आप नेताओं के उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में पाला बदला है। उन्होंने कहा, ‘‘लोग बोलने से पहले नहीं सोचते। कम से कम उन्हें यह तो देखना चाहिए कि मेरे खिलाफ कौन से आयकर आदेश लंबित हैं और मेरे घर की तलाशी के दौरान क्या मिला: कुछ भी नहीं। मैं अपनी लड़ाई खुद लड़ने में विश्वास करता हूं। जब बिना किसी बात के मुद्दे खड़े किए जाते हैं तो मुझे क्रोध आता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आप को 10 साल दिए और यह फैसला मेरे लिए बहुत भावनात्मक था और जो कुछ भी हुआ, वह अच्छे के लिए हुआ और अब मैं भाजपा को मजबूत करने के लिए काम करूंगा।’’
गहलोत ने स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण की ड्यूटी को लेकर आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ मतभेद की अटकलों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी बिल्कुल भी नाराजगी नहीं थी। जब मुझे पता चला कि उपराज्यपाल ने मेरा नाम प्रस्तावित किया है (तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल के जेल में रहने के कारण स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराने के लिए), तो मैंने पार्टी को यह बात बतायी। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद ही मैंने 15 अगस्त के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इसलिए मुझे कोई शिकायत नहीं है। मेरे इस्तीफे का यह कोई कारण नहीं था।’’ आप से इस्तीफा देने के एक दिन बाद गहलोत सोमवार को भाजपा में शामिल हो गए।
भाजपा ने गहलोत के इस कदम को दिल्ली की राजनीति में एक “महत्वपूर्ण मोड़” बताया है, खास तौर पर ग्रामीण जाट समुदाय में उनके प्रभाव को देखते हुए। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पार्टी में शामिल होने पर उनका स्वागत किया और उन्हें “गेम चेंजर” (बड़ा बदलाव लाने वाला) बताया।
गहलोत ने विधानसभा चुनाव में दिल्ली में भाजपा की संभावनाओं को मजबूत करने के लिए काम करने का संकल्प लिया और विश्वास जताया कि अगली सरकार भाजपा ही बनाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा जैसा कि मैंने पहले भी किया है।’’
उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी के समक्ष उत्पन्न मुद्दों के बारे में भी बात की और प्रदूषण से निपटने के लिए एक द्विदलीय दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘एक मंत्री के तौर पर भी मैंने हमेशा कहा है कि प्रदूषण एक ऐसा मुद्दा है जिस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। ये ऐसे मामले हैं जहां हमें राजनीति से ऊपर उठना चाहिए, सभी को शामिल करना चाहिए और समाधान निकालने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।’’
गहलोत ने आप सरकार में रहने के दौरान परिवहन और महिला एवं बाल विकास सहित अपने विभागों के बारे में बात करते हुए दिल्ली में बस मार्शलों के संबंध में तत्काल कदम उठाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘योजना अधर में लटकी हुई है। नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक, जो बस मार्शल के रूप में काम करते हैं, वित्तीय कठिनाइयों के बावजूद बेहतरीन काम कर रहे हैं। दिल्ली सरकार को अपनी योजना को अंतिम रूप देना चाहिए ताकि उपराज्यपाल कार्रवाई कर सकें।’’
गहलोत के आप छोड़ने से पार्टी ने अपने एक प्रमुख ग्रामीण नेता को खो दिया है, जिससे बाहरी दिल्ली के जाट इलाके में पार्टी की पकड़ को लेकर सवाल उठ रहे हैं। नजफगढ़ से दो बार के विधायक गहलोत ने कहा, ‘‘मेरी पहचान मेरी ग्रामीण पृष्ठभूमि है। मैं एक किसान का बेटा हूं और किसी चीज से नहीं डरता। बार-बार कहा जा रहा है कि मैं डर गया था, मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मैं किसी चीज से नहीं डरता। मुझ पर कोई दबाव नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कैलाश गहलोत डरता नहीं है और नजफगढ़ ही नहीं, बल्कि दिल्ली का पूरा ग्रामीण इलाका मेरा घर है।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)