राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा नतीजे: राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि नीट-यूजी में ‘कटऑफ’ और उच्च अंक हासिल करने वालों की संख्या में वृद्धि परीक्षा की प्रतिस्पर्धी प्रकृति को दर्शाती है और परीक्षा की शुचिता से समझौता नहीं किया गया है. मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए होने वाली राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट) में अनियमितताओं और अंकों में बढ़ोत्तरी के आरोपों के बीच एनटीए ने यह बयान दिया है. परीक्षा पांच मई को 571 शहरों के 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी, जिनमें दूसरे देशों के 14 शहर शामिल थे. एनटीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "कटऑफ में वृद्धि परीक्षा की प्रतिस्पर्धी प्रकृति और इस वर्ष परीक्षार्थियों के उच्च प्रदर्शन मानकों को दर्शाती है."
अधिकारी ने कहा, "2023 में परीक्षा देने वालों की संख्या 20,38,596 थी, जबकि 2024 में परीक्षार्थियों की संख्या बढ़कर 23,33,297 हो गई. परीक्षार्थियों की संख्या में वृद्धि से स्वाभाविक रूप से उच्च अंक हासिल करने वालों की संख्या में वृद्धि हुई."
कुछ छात्रों को दिए गए कृपांकों (ग्रेस मार्क्स) पर एनटीए ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा, दिल्ली और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालयों में कुछ याचिकाएं दायर की थीं, जिनमें कुछ केंद्रों पर परीक्षा समय की हानि को लेकर चिंता जताई गई थी. अधिकारी ने कहा, "रिट याचिकाओं और प्रतिवेदनों के माध्यम से अभ्यर्थियों द्वारा परीक्षा समय की हानि के बारे में उठाई गई चिंताओं पर गौर किया गया और 1,563 अभ्यर्थियों को हुई समय की हानि के लिए भरपाई की गई तथा ऐसे अभ्यर्थियों के संशोधित अंक -20 से 720 अंकों के बीच हैं. इनमें से दो अभ्यर्थियों के अंक भी प्रतिपूरक अंकों के कारण क्रमशः 718 और 719 हैं." यह भी पढ़ें : आईआईटी-जोधपुर ने सौर पैनल से इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करने के लिए तैयार किया अडैप्टर
अधिकारी ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे की फुटेज का विश्लेषण करने पर यह पाया गया कि परीक्षा की शुचिता से समझौता नहीं किया गया. मेडिकल प्रवेश परीक्षा के कई अभ्यर्थियों ने अंकों में वृद्धि का आरोप लगाया है. अभ्यर्थियों का आरोप है कि अंकों में वृद्धि से रिकॉर्ड 67 परीक्षार्थियों ने शीर्ष रैंक हासिल की है, जिनमें हरियाणा के एक ही परीक्षा केंद्र के छह अभ्यर्थी शामिल हैं. एनटीए ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में किए गए बदलाव और परीक्षा केंद्रों पर समय गंवाने पर ‘ग्रेस मार्क्स’ दिए जाने के कारण छात्रों को अधिक अंक मिले हैं.