नयी दिल्ली, 11 जुलाई : मंत्रिपरिषद में फेरबदल और विस्तार की खबरों के बीच मंत्रियों का परिचय लिखने-छापने की परंपरा रही है. इनमें अकसर उनके लंबे राजनीतिक जीवन के बारे में बात की जाती है, लेकिन गत सात जुलाई को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए निशीथ प्रमाणिक का परिचय थोड़ा हटकर है. वह सिर्फ 35 साल के हैं और सबसे कम उम्र के मंत्री हैं. उनका राजनीतिक अनुभव दिग्गज कहे जाने वाले नेताओं के मुकाबले काफी कम है. चार साल पहले तक निशीथ का राजनीतिक परिचय कुछ अलग था. उन्हें पश्चिम बंगाल (West Bengal) में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के युवा नेता के तौर पर जाना जाता था. उन्होंने इसी पार्टी से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. हालांकि वर्ष 2018 के पंचायत चुनावों में जब उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ तकरीबन 300 उम्मीदवार खड़े किए तो उनके पार्टी से अलग होने के संकेत मिलने लगे थे. वर्ष 2019 में उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में यह कहते हुए भाजपा का भगवा तिलक लगाया कि केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही देश को बचा सकते हैं. उन्होंने पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर किसानों और युवाओं को नजरंदाज करने का आरोप भी लगाया.
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक मजबूत स्थानीय चेहरे का भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए एक बड़ी जीत थी. पार्टी ने उसी साल हुए लोकसभा चुनाव में कूचबिहार से नीशीथ पर पहला दांव लगाया और निशीथ ने वह सीट भाजपा की झोली में डाल दी. इस सीट को लंबे समय तक फॉरवर्ड ब्लॉक का गढ़ माना जाता रहा था. 2014 में इसपर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा हुआ और 2016 के उपचुनाव में भी यह सीट पार्टी ने बरकरार रखी, लेकिन तीन साल के भीतर नीशीथ ने क्षेत्र के मतदाताओं का मन बदल दिया और यहां से अपने लिए लोकसभा का रास्ता हमवार किया. पार्टी ने नीशीथ पर दूसरा दांव इसी वर्ष हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में लगाया, जब उन्हें सांसद होते हुए भी दिनहाटा विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा गया. उन्होंने यह सीट भी पार्टी के खाते में लिख दी. यह भी पढ़ें : NEET 2021: नीट यूजी परीक्षा सितंबर तक हो सकती है स्थगित, यहां पढ़ें पूरी डिटेल्स
विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन अभूतपूर्व रहा और उत्तर बंगाल में पार्टी की जड़ें जमाने में निशीथ का प्रमुख योगदान रहा. नीशीथ राजवंशी समुदाय से ताल्लक रखते हैं और इस समुदाय पर उनका काफी प्रभाव माना जाता है. नीशीथ पर लगाई दोनों बाजियां जीतने के बाद भाजपा को उनके मजबूत राजनीतिक भविष्य पर कोई संदेह नहीं रहा और उन्हें केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में जगह देकर पार्टी ने उन्हें उनकी तीन साल की मेहनत का सिला दिया. पारिवारिक जीवन की बात करें तो नीशीथ प्रमाणिक का जन्म 17 जनवरी 1986 को पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले के दिनहाटा में हुआ. उनके पिता का नाम बिधु भूषण प्रमाणिक और मां का नाम छंदा प्रमाणिक है. उन्होंने बालाकुरा जूनियर बेसिक स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ साल एक प्राथमिक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का काम भी किया. उनकी पत्नी का नाम प्रियंका है और उनके दो बेटे हैं.