एनएबीएल ने ओएफबी की दो इकाइयों को ‘रक्त प्रवेश प्रतिरोध परीक्षण’ करने की मान्यता दी

कोलकाता, 11 अप्रैल एनएबीएल ने दो आयुध निर्माण इकाइयों को ‘रक्त प्रवेश प्रतिरोध के लिए परीक्षण’ करने की शनिवार को आधिकारिक मान्यता दे दी। आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के एक अधिकारी ने बताया कि यह ऐसा कदम है जिससे कोविड-19 संकट से उबारने के प्रयासों में जुटे अग्रिम मोर्चे के चिकित्सा कर्मियों के लिए रक्षात्मक सूट (कवरऑल) तेजी से विकसित करने के कार्य को बल मिलेगा।

ओएफबी के उपमहानिदेशक जनरल गगन चतुर्वेदी ने बताया कि आयुध निर्माणी बोर्ड की दो इकाइयों- उत्तर प्रदेश के कानपुर की लघु अस्त्र निर्माणी (एसएएफ) और तमिलनाडु की भारी वाहन निर्माणी, आवडी को राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) ने यह जांच करने की आधिकारिक मान्यता प्रदान की क्योंकि जांच के लिए उनके द्वारा बनाए गए उपकरण निर्धारित मानक के अनुरूप थे।

इस परीक्षण का मूल सिद्धांत रक्षात्मक सूट बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल यानि कपड़े को कुछ निर्धारित अवधि के लिए विभिन्न दबाव स्तरों पर ‘कृत्रिम रक्त’ के संपर्क में रखा जाता है।

जनरल चतुर्वेदी ने कहा, “यह जांच पूरे देश में स्वास्थ्य कर्मियों तथा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को देख रहे प्रथम चिकित्सा कर्मियों के लिए निर्माताओं द्वारा बड़ी संख्या में रक्षात्मक सूट के निर्माण को सुगम बनाने के लिए जरूरी है।”

उन्होंने कहा कि अब तक पूरे देश में केवल एसआईटीआरए, कोयंबटूर ही यह परीक्षण कर रहा था और रक्षात्मक सूट के निर्माताओं के लिए कपड़े की जांच एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा था खासकर राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान और साजो-सामान के अभाव में।

उन्होंने कहा कि इस कदम के साथ, दक्षिण भारत में दूसरा और उत्तर भारत में पहला ऐसा केंद्र स्थापित कर लिया गया है।

चतुर्वेदी ने कहा, “यह न सिर्फ ओएफबी की अपनी खुद की वस्त्र निर्माणियों में रक्षात्मक सूट के उत्पादन को बढ़ाएगा बल्कि रक्षात्मक सूट बनाने के काम में लगी अन्य एजेंसियों को भी इस अहम जांच सुविधा का लाभ ले सकने में मदद मिलेगी।”

ओएफबी की चार वस्त्र निर्माणियां उत्तर प्रदेश में और एक तमिलनाडु में है।

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