नयी दिल्ली, 14 नवंबर वैश्विक स्तर पर हल्के तेलों की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल तिलहन बाजार में सोयाबीन डीगम सहित सोयाबीन के विभिन्न तेलों के भाव में सुधार आया। सीपीओ का आयात शुल्क मूल्य बढ़ाये जाने से सीपीओ और पामोलीन में भी सुधार दर्ज हुआ।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सरकार ने शुक्रवार को आयात शुल्क मूल्य में बढ़ोतरी की। इसके तहत सीपीओ के आयात शुल्क मूल्य को 782 डॉलर से बढ़ाकर 847 डॉलर कर दिया गया जबकि बाजार भाव 880 डॉलर का था। इस प्रकार इस तेल के आयात शुल्क मूल्य में प्रति क्विन्टल 200 रुपये की बढ़ोतरी हुई है।
इसी प्रकार सोयाबीन डीगम के आयात शुल्क मूल्य में नौ डॉलर की बढोतरी की गई यानी इसे पहले के 948 डॉलर से बढ़ाकर 957 डॉलर किया गया यानी प्रति क्विन्टल इस तेल में 26 रुपये क्विन्टल की बढ़ोतरी हुई है जबकि इसका बाजार भाव 1,000 डॉलर का था।
सूत्रों ने कहा कि मलेशिया में कोरोना वायरस महामारी के कारण मजदूरों की कमी की वजह से पामतेल का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसकी वजह से सीपीओ का बाजार सात-आठ प्रतिशत सुधरा है। आयात शुल्क मूल्य में इस वृद्धि के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में समीक्षाधीन सप्ताह में सुधार तो आया पर इस बात की चिंता करनी होगी कि आयात शुल्क मूल्य में घट बढ़ किस आधार पर किया जाता है क्योंकि इस आधार के अनिश्चित होने से आयातकों को भारी नुकसान होता है।
उन्होंने कहा कि निर्यात मांग खत्म होने के बावजूद गुजरात में सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंगफली खरीद करने के आश्वासन से मूंगफली दाना और मूंगफली तेल कीमतों में सुधार आया। लेकिन यह भी तथ्य है कि सस्ते आयातित तेल के मुकाबले महंगा होने से मूंगफली की मांग कम है। मूंगफली दाना और लूज के भाव क्रमश: 150 रुपये और 500 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 5,400-5,450 रुपये और 13,500 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 60 रुपये सुधरकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 2,095-2,155 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
सामान्य कारोबार के बीच त्यौहारी मांग खत्म होने से सरसों तेल तिलहन के भाव पूर्व सप्ताहांत के स्तर पर बने रहे।
बाजार सूत्रों का कहना है कि आगरा की सलोनी मंडी में सरसों दाना का भाव 6,770 रुपये क्विन्टल हो गया है जो पिछले सप्ताह 6,670 रुपये क्विन्टल था। दूसरी ओर वायदा कारोबार में विगत शुक्रवार को सरसों जयपुर में 6,135 रुपये पर बंद हुआ जबकि हाजिर भाव 6,325 रुपये है। सूत्रों ने कहा कि वायदा कारोबार में जानबूझकर सरसों के भाव को तोड़ा जा रहा है ताकि हाफेड के सौदों को कब्जे में लिया जा सके।
सूत्रों ने कहा कि सहकारी संस्था हाफेड और नाफेड, किसानों और उपभोक्ताओं के हित के लिए है न कि सट्टेबाजों के लिए। व्यक्तिगत फायदे के लिए सट्टेबाजी और जानबूझकर भाव घटाने बढ़ाने से सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकारी संस्थाओं को आगामी सर्दियों की मांग बढ़ने की संभावना को देखते हुए सरसों की संभल संभल कर बिकवाली करनी चाहिये क्योंकि सरसों का कोई विकल्प नहीं है और इसका आयात भी नहीं किया जा सकता है।
सरसों दाना और सरसों दादरी के भाव क्रमश: 6,225-6,275 रुपये और 12,300 रुपये प्रति क्विन्टल पर अपरिवर्तित रहे। जबकि सरसों पक्की और कच्ची घानी की कीमतें क्रमश: 1,865-2,015 रुपये और 1,985-2,095 रुपये प्रति टिन के पिछले सप्ताहांत के स्तर पर ही बने रहे।
सूत्रों ने बताया कि सोयाबीन दाना की निर्यात मांग बढ़ने के अलावा सोयाबीन खली की निर्यात मांग पिछले साल के मुकाबले लगभग 64 प्रतिशत बढ़ने से सोयाबीन दाना और इसके तेल कीमतों में सुधार आया। आयात शुल्क मूल्य बढाये जाने से भी सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में सुधार आया। सोयाबीन दाना और लूज के भाव 60-60 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,380-4,420 रुपये और 4,240-4,270 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। जबकि सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन डीगम क्रमश: 450 रुपये, 400 रुपये और 550 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 11,200 रुपये, 10,900 रुपये और 10,200 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
आयात शुल्क मूल्य वृद्धि और बेपड़ता बिक्री के कारण सीपीओ, पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला की कीमतें क्रमश: 400 रुपये, 500 रुपये और 450 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 9,150 रुपये, 10,600 रुपये और 9,750 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में हल्के तेल की मांग बढ़ने और वैश्विक स्तर पर इस तेल की कमी के साथ ब्लेंडिंग के लिए मांग बढ़ने से सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में सूरजमुखी बीज उत्पादकों को एमएसपी से लगभग 15 प्रतिशत कम दाम मिल रहे हैं।
राजेश
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