नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बृहस्पतिवार को लाओस की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे, जहां कनेक्टिविटी में सुधार और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का विस्तार प्रमुख मुद्दे रहने की उम्मीद है।
मोदी की यह यात्रा ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के 10 वर्ष पूरे होने के मौके पर हो रही है।
इस यात्रा के दौरान मोदी जापान के नवनियुक्त प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा से मुलाकात कर सकते हैं जो एक अक्टूबर को पद संभालने के बाद से अपनी पहली विदेश यात्रा में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।
दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय तनाव और म्यांमा में गृह युद्ध पर भी चर्चा होगी। आसियान ने एक शांति योजना प्रस्तावित की है जिसमें म्यांमा में संघर्षरत गुटों के बीच युद्ध विराम और मध्यस्थता की बात कही गई है।
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने कहा कि म्यांमा की स्थिति के बारे में आसियान देशों और उनके साझेदारों के बीच पांच सूत्री आम सहमति थी।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा रुख आसियान की पांच सूत्री आम सहमति के प्रति पूर्णतया सहायक है।’’
मोदी वियंतियाने में दोनों प्रमुख शिखर सम्मेलनों से इतर लाओस के प्रधानमंत्री सोनेक्से सिफान्डन तथा अन्य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे।
मजूमदार ने कहा, ‘‘हम आसियान से संबंधित समस्त प्रणालियों को काफी महत्व देते हैं। प्रधानमंत्री दसवीं बार आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।’’
उन्होंने कहा कि वियंतियाने में यह सम्मेलन प्रधानमंत्री की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर होगा।
मजूमदार ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री अन्य आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के साथ इस दौरान भारत और आसियान के बीच संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे। और वे हमारे संबंधों की भविष्य की दिशा तय करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी आसियान के साथ भारत की साझेदारी का बहुत महत्वपूर्ण स्तंभ है क्योंकि दुनियाभर में 20 प्रतिशत भारतवंशी आसियान के सदस्य देशों में रहते हैं।
मजूमदार ने कहा, ‘‘सात आसियान देशों के साथ हमारी सीधी उड़ान सेवाएं हैं। और हमें उम्मीद है कि साल खत्म होने से पहले संभवत: दो और आसियान देशों के साथ हमारा सीधा उड़ान संपर्क होगा।’’
उन्होंने कहा कि भारत के लाओस के साथ ‘घनिष्ठ, मैत्रीपूर्ण, ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध’ हैं, जिनमें सांस्कृतिक स्थलों की बहाली, क्षमता निर्माण और बिजली परियोजनाओं जैसे विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।
दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संघ (आसियान) की स्थापना 1967 में की गई थी। इसके सदस्य देशों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, थाइलैंड, भारत, वियतनाम, लाओ पीडीआर, कंबोडिया और ब्रूनेई दारस्सलाम हैं।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में 10 आसियान देश और आठ साझेदार देश-ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, रूस और अमेरिका शामिल होंगे। तिमोर-लेस्ते पर्यवेक्षक की भूमिका में है।
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