देश की खबरें | हादसे के कारणों में यातायात प्रबंधन की कमियां और आधा अधूरा निर्माण कार्य शामिल: विशेषज्ञ

जयपुर, 21 दिसंबर राजस्थान के भांकरोटा गैस टैंकर हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 14 होने के बीच विशेषज्ञों का मानना है कि यातायात प्रबंधन की खामियां और राष्ट्रीय राजमार्ग पर जारी निर्माण कार्य इस भीषण दुर्घटना के कारणों में से एक हो सकता है।

जयपुर अजमेर राजामार्ग पर शुक्रवार को हुए एलपीजी गैस टैंकर हादसे में 14 लोगों की मौत हो गयी, जबकि 27 अन्य अब भी उपचाराधीन है। इस भीषण गैस हादसे ने पूरे देश को हिला दिया और सड़क सुरक्षा को लेकर चिंताएं व्यक्त की गई हैं।

विशेषज्ञों ने कहा कि राजमार्ग पर उचित एवं पर्याप्त संकेत (साइन) नहीं होना, अधूरा निर्माण कार्य, अचानक 'कट' और लोगों में यातायात की पूरी समझ नहीं होना इस दुर्घटना का कारण हो सकती है।

सुड़क सुरक्षा नेटवर्क (आरएसएन) से जुड़े जॉर्ज चेरियन ने कहा, "जयपुर-अजमेर का यह हिस्सा दुर्घटना संभावित इलाकों में से है, जहां खराब यातायात प्रबंधन और मौजूदा निर्माण कार्य से स्थिति खतरनाक हो गई।'

राजस्थान के मुख्य सचिव की यातायात प्रबंधन समिति के पूर्व सदस्य चेर‍ियन ने कहा कि ऐसे बड़े टैंकरों को हाईवे पर 'यू-टर्न' लेने से रोकने के लिए भौतिक उपाय किए जाने चाहिए थे। तेज गति से चल रहे वाहन को ब्रेक लगाना और रोकना मुश्किल होता है।

उन्होंने कहा कि 2022 में राजस्थान में सड़क दुर्घटनाओं में 13 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि मौतों में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

राजस्थान परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 में दुर्घटनाओं की संख्या उसके पिछले वर्ष के 20,951 की तुलना में बढ़कर 23,614 हो गई।

आंकड़ों के अनुसार 2023 में देश में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली 1,73,000 मौत में से लगभग 55 प्रतिशत राजस्थान सहित छह बड़े राज्यों में हुईं।

राज्य सरकारों द्वारा केंद्र को भेजे गए आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में मौतों में सबसे तेज वृद्धि देखी गई, जो 2022 की तुलना में लगभग छह प्रतिशत की वृद्धि है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर एक व्यापक ‘राजस्थान राज्य सड़क सुरक्षा कार्य योजना 2025-2030’ की आवश्यकता है।

बगरू उद्योग मित्र के सह-संयोजक नवनीत झालानी जो लगभग हर दिन इस दुर्घटना स्थल से गुजरते हैं, ने कहा, “इस दुर्घटना की नींव छह साल पहले तब पड़ी जब चुनावी आचार संहिता के चलते रिंग रोड का उद्घाटन जल्दबाजी में किया गया था। व्यस्त राजमार्ग पर क्लोवर लीफ बनाई जानी चाहिए थी जो अब भी नहीं बन पाई। हमने इस संबंध में एनएचएआई को कई ज्ञापन दिए हैं।”

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. प्रेरणा अरोड़ा सिंह ने कहा, “चौराहे पर हाई मास्क लाइट नहीं है। सर्दियों में दृश्यता बहुत कम हो जाती है। 'कट' पर किसी भी प्रकार का रेडियम, रिफ्लेक्टर, सिग्नल, मार्कर नहीं है।”

उन्होंने कहा कि चौराहे पर बने 'कट' की चौड़ाई कम है और कंटेनर या गैस टैंकर जैसा कोई बड़ा ट्रक वहां से मुड़ता है तो यह दोनों तरफ से सड़क को अवरुद्ध कर देता है। संभवतः यह दुर्घटना का कारण हो सकता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि आम लोगों में सड़क यातायात की पूरी समझ नहीं है और इस दिशा में काम किए जाने जाने की जरूरत है।

कांग्रेस नेता सचिन पायलट शनिवार को सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल में पीड़ितों से मिलने पहुंचे। उन्होंने भी विभिन्न कमियों को उजागर किया और जांच की मांग की।

उन्होंने कहा, "हम सभी दुर्घटना स्थल के बारे में जानते हैं। निर्माण कार्य क्यों पूरा नहीं हुआ, ठेकेदार और एजेंसी कौन है? हमें विस्तृत जांच के बाद तथ्यों को जानने की जरूरत है।"

इस भीषण हादसे के बाद पांच जले हुए शव मिले जबकि आठ अन्य की बाद में मौत हो गई। अब तक कुल 14 मौत हुई हैं। 27 मरीज एसएमएस अस्पताल में भर्ती हैं और उनका उपचार जारी है।

सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी ने बताया, "सात लोग जीवन रक्षक उपकरण पर हैं।"

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