वडनगर (गुजरात), 16 जनवरी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को यहां कहा कि वडनगर में एक गरीब परिवार में जन्मे बच्चे से लेकर वैश्विक नेता बनने तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा दुनियाभर के छात्रों के लिए एक अध्ययन का विषय होगी।
गुजरात के मेहसाणा जिले में मोदी के गृहनगर वडनगर में एक सभा को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि एक भाषण में मोदी के पूरे जीवन का वर्णन करना असंभव है।
उन्होंने कहा कि वडनगर में एक गरीब परिवार में जन्मे बच्चे से लेकर पूरे विश्व का मार्गदर्शन करने वाले वैश्विक नेता बनने तक की मोदी की यात्रा को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
राज्य के दौरे पर आए शाह मेहसाणा जिले के वडनगर में तीन प्रमुख परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इन परियोजनाओं में एक पुनर्विकसित स्कूल भी शामिल है, जहां मोदी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी का पूरा जीवन, वडनगर में बिताये उनके बचपन से लेकर देश के प्रधानमंत्री और वैश्विक नेता बनने तक, आने वाले दिनों में भारत और दुनियाभर के कई विद्यार्थियों के लिए अध्ययन का विषय बन जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि अपना बचपन अत्यंत गरीबी में बिताने वाले, एक चाय बेचने वाले पिता और एक गरीब मां के बेटे नरेन्द्र मोदी जी जब बड़े हुए तो उन्होंने कहीं पर भी कोई कटुता नहीं रखी।
शाह ने कहा, ‘‘ मोदी जी ने इस प्रकार शासन किया है कि उनके जैसी गरीबी राज्य और देश के किसी और बच्चे को न सहन करनी पड़े।’’
उन्होंने कहा कि गरीब परिवार में जन्म लेने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने कभी कोई नकारात्मकता नहीं रखी और अपनी गरीबी को जरूरतमंदों के प्रति करुणा में बदल दिया तथा लोगों के कल्याण के लिए अथक कार्य किए हैं।
शाह ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने करोड़ों गरीब लोगों को आवास, शौचालय, पानी, गैस और बिजली कनेक्शन, सस्ती कीमतों पर दवाइयां और मुफ्त राशन जैसी विभिन्न सुविधाएं प्रदान कर उनके जीवन को बदल दिया।
गृह मंत्री ने कहा कि बचपन में मोदी जी की स्वयं की शिक्षा में कई कठिनाइयां आईं और तब से लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री बनने तक उन्होंने प्राथमिक शिक्षा को खासा महत्व दिया।
उन्होंने कहा कि गुजरात में ‘कन्या केलवणी यात्रा’ नाम से बच्चों और बच्चियों को पढ़ाने का एक अभियान मोदी ने शुरू किया।
उन्होंने कहा, ‘‘उनके प्रयासों की बदौलत स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की दर, जो उनके मुख्यमंत्री बनने के समय 37 प्रतिशत थी, 2014 में घटकर सिर्फ एक प्रतिशत रह गई।’’
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