नयी दिल्ली, 12 अगस्त उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अलग-अलग याचिकाओं पर 17 अगस्त को सुनवाई करेगा।
उच्च न्यायालय ने सोरेन के खिलाफ राज्य का खनन मंत्री रहते हुए एक खनन पट्टा खुद को आवंटित करने के आरोप के मामले में जांच के अनुरोध वाली एक जनहित याचिका की विचारणीयता को स्वीकार किया था।
न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति एस आर भट्ट की पीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए आया।
झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि यह एक ‘प्रायोजित’ जनहित याचिका है जिस पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका की एक प्रति अनुलग्नकों के साथ प्रस्तुत की जाए।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने इस साल फरवरी में दावा किया था कि सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग किया और स्वयं को खनन का एक पट्टा आवंटित कर लिया। उन्होंने कहा था कि इसमें हितों का टकराव और भ्रष्टाचार दोनों शामिल हैं। दास ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया था।
भारत निर्वाचन आयोग ने विवाद का संज्ञान लेते हुए मई में सोरेन को नोटिस भेजा था और उनके खान तथा पर्यावरण मंत्री रहते हुए खनन पट्टा जारी करने पर उनका पक्ष पूछा था। मामला अभी आयोग के समक्ष लंबित है।
झारखंड उच्च न्यायालय में दायर याचिका में खनन पट्टा देने में हुई कथित अनियमितताओं के मामले में जांच की मांग की गयी थी। इसमें मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों और सहयोगियों से कथित रूप से जुड़ी कुछ मुखौटा कंपनियों के लेनदेन की भी जांच की मांग की गयी थी।
उच्च न्यायालय ने तीन जून को कहा था कि उसकी राय है कि विचारणीयता के आधार पर याचिकाओं को छोड़ा नहीं जा सकता और वह गुण-दोषों के आधार पर मामलों में सुनवाई करेगा।
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