भुवनेश्वर, 10 जनवरी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि प्रवासी भारतीय देश की सर्वश्रेष्ठ पहचान और राष्ट्र का अभिन्न अंग हैं तथा 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
उन्होंने यहां तीन दिवसीय 18वें प्रवासी भारतीय दिवस 2025 के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘विकसित भारत एक राष्ट्रीय मिशन है, जिसमें विदेशों में रहने वाले लोगों सहित प्रत्येक भारतीय की सक्रिय और उत्साही भागीदारी की आवश्यकता है।’’
मुर्मू ने कहा कि प्रवासी समुदाय की वैश्विक उपस्थिति और उनकी उपलब्धियां उन्हें भारत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने की स्थिति में रखती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय प्रवासी हमारे देश की सर्वश्रेष्ठता का प्रतिनिधित्व करते हैं और वे अपने साथ न केवल इस पवित्र भूमि में अर्जित ज्ञान और कौशल लेकर गए हैं, बल्कि वे मूल्य और लोकाचार भी लेकर गए हैं जो सहस्राब्दियों से हमारी सभ्यता की नींव रहे हैं।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘चाहे वह प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, कला या उद्यमिता का क्षेत्र हो, भारतीय प्रवासियों ने हर जगह अपनी छाप छोड़ी है जिसे विश्व स्वीकार करता है और सम्मान देता है।’’
सम्मेलन का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने इसे महज एक आयोजन से कहीं अधिक बताया और कहा, ‘‘यह एक ऐसा मंच है जहां विचारों का संगम होता है, सहयोग स्थापित होता है तथा भारत और उसके प्रवासी समुदाय के बीच संबंध मजबूत होते हैं।’’
भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के शाश्वत दर्शन पर उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने के बारे में है जो आर्थिक प्रगति को सामाजिक न्याय और पर्यावरणीय संरक्षण के साथ संतुलित करता है और साथ ही वैश्विक कल्याण में योगदान देता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब भारत अपने प्रवासी भारतीय परिवार की उपलब्धियों का जश्न मना रहा है, तो हमें आशा और दृढ़ संकल्प के साथ भविष्य की ओर भी देखना चाहिए। हम सब मिलकर एक विकसित भारत का निर्माण कर सकते हैं, एक ऐसा राष्ट्र जो वैश्विक मंच पर ऊंचा स्थान प्राप्त करे और दुनिया के लिए प्रकाश की किरण बना रहे।’’
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि प्रवासी समुदाय ने अपनी प्रतिभा, रचनात्मकता, समर्पण, प्रतिबद्धता और दृढ़ता के आधार पर विविध क्षेत्रों में भारत और विश्व के लिए उत्कृष्ट योगदान दिया है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘उन्होंने वैश्विक समाज पर अमिट छाप छोड़ी है। उनकी असाधारण उपलब्धियों ने देश और भारतीयों को गौरवान्वित किया है तथा अन्य लोगों और देशों के साथ हमारे संबंधों को मजबूत किया है।’’
उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के सामने ‘‘भारत प्रथम’’ और ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ के दोहरे दृष्टिकोण के साथ आता है। उन्होंने कहा कि यह अधिक अंतर-निर्भरता, प्रौद्योगिकी प्रवाह और प्रतिभा गतिशीलता का युग है।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘कई मायनों में, यह प्रवासी समुदाय ही है जो हमारी छवि को एक पुनरुत्थानशील सभ्यता के रूप में परिभाषित करने में मदद करेगा।’’
समापन सत्र में ओडिशा के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम, धर्मेंद्र प्रधान, कीर्तिवर्धन सिंह और पबित्र मार्गेरिटा भी उपस्थित थे।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)