नयी दिल्ली, 10 जनवरी पर्यावरण अनुकूल स्वच्छता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने महाकुंभ में साफ-सफाई प्रबंधन के लिए 152.37 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
जल शक्ति मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस पहल में आधुनिक प्रौद्योगिकी को पारंपरिक उपायों के साथ जोड़ा गया है ताकि स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।
इसमें कहा गया है कि विशाल मेला मैदान में 28,000 से अधिक शौचालय बनाये गये हैं, जिनमें सेप्टिक टैंक के साथ 12,000 ‘फाइबर- रीइनफोर्स्ड’ प्लास्टिक शौचालय और 16,100 पूर्वनिर्मित स्टील शौचालय शामिल हैं।
बयान में कहा गया है कि इसके अलावा श्रद्धालुओं की स्वच्छता के लिए 20,000 सामुदायिक मूत्रालय बनाये गए हैं। बयान में कहा गया है कि ये प्रयास पर्यावरण के अनुकूल स्वच्छता परंपराओं को बढ़ावा देने संबंधी मिशन के लक्ष्य के अनुरूप हैं।
इसमें कहा गया है कि अपशिष्ट प्रबंधन से निपटने के लिए, आयोजकों ने 20,000 कूड़ेदान रखे हैं ताकि पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित किया जा सके, जबकि अपशिष्ट संग्रह और निपटान को सुव्यवस्थित करने के भी उपाय किये गए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आयोजन क्षेत्र स्वच्छ रहे।
बयान के अनुसार, प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र बनाने और पूरे आयोजन के दौरान गंगा नदी की पवित्रता बनाए रखने पर भी जोर दिया गया है।
इसमें कहा गया है कि स्वच्छता, प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र और प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, इस कार्यक्रम से लाखों श्रद्धालुओं को प्रेरणा मिलने और पर्यावरण संरक्षण के बारे में सामाजिक जागरूकता बढ़ने की उम्मीद है।
सरकार ने 2015 में एनएमसीजी या ‘नमामि गंगे’ को एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में शुरू किया था, जिसका उद्देश्य गंगा नदी की सफाई के लिए पूर्व और मौजूदा परियोजनाओं तथा नई पहल को एकीकृत करना था।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ का आयोजन होना है।
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