नल जल कनेक्शन प्रदान करने में पीछे रहने वाले राज्यों की विशिष्ट समस्याओं पर ध्यान दें: समिति ने सरकार से कहा
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नयी दिल्ली, 21 मार्च : संसद की एक समिति ने सरकार से हर ग्रामीण परिवार को नल से जल का कनेक्शन प्रदान करने में पीछे रहने वाले राज्यों की विशिष्ट समस्याओं पर ध्यान देने और लक्ष्यों की शीघ्र प्राप्ति के लिए जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए उपयुक्त उपाय करने को कहा है. लोकसभा में पेश की गई भारतीय जनता पार्टी के सांसद परबतभाई सवाभाई पटेल की अध्यक्षता वाली पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से संबंधित जल शक्ति मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है. रिपोर्ट के अनुसार, आज की स्थिति के अनुसार, मंत्रालय अब तक 19.36 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 11.15 करोड़ परिवार (57.5 प्रतिशत) से अधिक ग्रामीण परिवारों के घरों में नल से जल की आपूर्ति करने में सफल रहा.

इसके मुताबिक समिति नोट करती है कि आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों सहित 13 लक्षित राज्यों में अभी कार्य का बड़ा हिस्सा पूरा किया जाना बाकी है. इन राज्यों में आंध्र प्रदेश ने अब तक केवल 29.56 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश ने 30.21 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल ने 30.30 प्रतिशत, झारखंड ने 30.53 प्रतिशत, राजस्थान ने 31.58 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ ने 38.81 प्रतिशत कवरेज हासिल किया है.

समिति ने पाया कि बहु ग्राम योजनाओं की लंबी अवधि,भूजल में दूषित पदार्थों की उपस्थिति, सूखा, रेगिस्तानी क्षेत्रों में स्थायी भूजल स्रोतों की कमी, पहाड़ी एवं वन क्षेत्रों में भूभाग की चुनौतियां, राष्ट्रव्यापी कोविड-19 महामारी एवं उससे संबंधित लॉकडाउन आदि से इन राज्यों में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की गति काफी प्रभावित हुई है. समिति हरियाणा, गुजरात, तेलंगाना, गोवा, पुदुचेरी, गोवा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा नगर हवेली और दमन एवं दीव के सभी ग्रामीण परिवारों को कार्यात्मक नल जल कनेक्शन देकर सभी ग्रामीण परिवारों को 100 प्रतिशत कवरेज की उपलब्धि की सराहना करती है. यह भी पढ़ें : भाजपा के लिए कोई झटका नहीं : बोम्मई ने टीपू सुल्तान विवाद पर कहा

रिपोर्ट के अनुसार, समिति इस बात की भी सराहना करती है कि बिहार, पंजाब और हिमाचल प्रदेश 95 प्रतिशत से अधिक घरों में कार्यात्मक नल जल आपूर्ति करने में सफल रहे. विभाग ने सूचित किया है कि उन्होंने राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की वार्षिक कार्य योजना (एएपी) पर संयुक्त चर्चा करने और उसे अंतिम रूप देने, कार्यान्वयन की नियमित समीक्षा बैठकें करने, क्षमता निर्माण और ज्ञान साझा करने के लिए कार्यशालाओं/सम्मेलनों/वेबिनारों का आयोजन करने, कार्यान्वयन एजेंसियों/ग्राम पंचायतों एवं अन्य हितधारकों के लिए नियमित समीक्षा बैठकें करने जैसे कई कदम उठाए हैं. समिति का मत है कि चूंकि योजना के सफल कार्यान्वयन में राज्यों की समान भागीदारी है, इसलिए पीछे चल रहे प्रत्येक राज्य में विशेष समस्याओं की जांच किए जाने की आवश्यकता है.