Vadodara: कंजूमर कोर्ट का बड़ा फैसला, 20 रुपये की पानी की बोतल 41 रुपये में बेचने का आरोप, अदालत ने कैफे पर ठोका 5,000 रुपये का जुर्माना
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo: Pixabay)

Vadodara Consumer Court Decision: अक्‍सर मॉल या एयरपोर्ट, या कैफे जैसी जगहो  पर पानी की बोतल पर अक्सर लोगों से अनाब-शनाब पैसे वसूले जाते हैं. लोग इस तरह की चीजों को आमतौर पर नजरअंदाज कर देते है. क्योंकि लोग इन सब मामलों में उलझाना नहीं चाहते है. क्योंकि छोटी रकम होती है. गुजरात के वडोदरा में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया. यहां कबीर किचन कैफे गैलरी में एक युवक से 20 रुपये पानी की बोतल के बदले  टैक्स समेत 41 रुपये वसूले गए.  जिस पैसे को देने को लेकर युवक ने विरोध किया. लेकिन उसकी एक भी नहीं सुनी गई. मजबूर होकर उसे पूरे पैसे देने पड़े. जिसके बाद वह रेस्‍टोरेंट के खिलाफ कंजूमर कोर्ट पहुंचा. करीब 7 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उसकी जीत हुई है.

यह याचिका  शिकायतकर्ता जतिन वलंगर ने याचिका दायर की थी. जिसकी याचिका पर करीब सात साल तक के सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.  युवक को मानसिक रूप से उत्पीड़न  और परेशान करने के लिए किस को  5,000 रुपये देने का आदेश दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सात साल लंबी कानूनी लड़ाई के दौरान हुए कानूनी खर्च के रूप में शिकायतकर्ता को दो हजार रुपये का भुगतान किया जाए. इसके अलावा कैफे को वलंगर को बोतल के लिए अधिक वसूले गए 21 रुपये पर 9% की ब्याज दर से भुगतना करने का आदेश दिया. यह भी पढ़े: मां के सक्षम होने के बावजूद, पिता बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकता; हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

दरअसल करीब सात साल पहले याचिकाकर्ता वलंगर ने कबीर किचन कैफे गैलरी में कुछ खाने के लिए गया है. जहां पर उसने 750 मिलीलीटर की पानी की बोतल का ऑर्डर दिया. वलंगर के पास कुछ समय बाद एक वेटर पानी लेकर आया है. वह पानी पीना शुरू ही किया था. इसी बीच उसकी नजर मेन्‍यू में बोतल का दाम पर गया. उसने देखा अकी मेनू में  39 रुपये लिखा है जबकि बोतल पर MRP में यह दाम 20 रुपये है. यह रेस्‍टोरेंट एक बोतल पानी पर 19 रुपये ज़्यादा वसूल रहा है. सर्विस टैक्‍स जोड़ने के बाद यह रकम 41 रुपये बन गई. जिसका उसमे विरोध किया. रेस्‍टोरेंट ने वाले ने उससे पूरी कीमत वसूली. जिसके बाद वलंगर ने इस मामले को लेकर कंज्‍यूमर कोर्ट लेकर पहुंचा. कंज्‍यूमर कोर्ट में करीब सात साल तक चली सुनवाई में वलंगर की जीत हुई है. कोर्ट ने पाया कि याचिका करता से ज्यादा पैसे वसूल किए गए हैं.