नई दिल्ली/रियाद, 22 नवंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार को जी20 सम्मेलन में कहा कि कोविड-19 (COVID19) महामारी दुनिया के सामने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी चुनौती और मानवता के इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ है. उन्होंने कोरोना के बाद की दुनिया में प्रतिभा, तकनीक, पारदर्शिता और संरक्षण के आधार पर एक नये वैश्विक सूचकांक के विकास का सुझाव दिया. मोदी ने यह भी कहा कि कोविड के बाद की दुनिया में ‘कहीं से भी काम करना’ एक नयी सामान्य स्थिति है और जी20 का एक डिजिटल सचिवालय बनाए जाने का सुझाव भी दिया.
सऊदी अरब के शाह सलमान ने जी20 सम्मेलन (G20 Conference) की शुरुआत की. इस साल कोरोना वायरस महामारी की वजह से समूह के सदस्य देशों के राष्ट्र प्रमुखों की बैठक डिजिटल तरीके से हो रही है. भारत 2022 में जी20 के सम्मेलन की मेजबानी करेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘जी20 के नेताओं से बहुत रचनात्मक वार्ता हुई. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समन्वित प्रयास निश्चित रूप से इस महामारी से तेजी से निपटने की अगुवाई करेंगे. डिजिटल सम्मेलन के आयोजन के लिए सऊदी अरब का आभार.’’
मोदी ने जी20 सम्मेलन में एक नये वैश्विक सूचकांक के विकास का सुझाव दिया जिसमें चार महत्वपूर्ण तत्व- प्रतिभाओं का बड़ा समूह तैयार करना, समाज के हर वर्ग तक प्रौद्योगिकी की पहुंच सुनिश्चित करना, शासन प्रणाली में पारदर्शिता लाना और पृथ्वी को संरक्षण की भावना से देखना- शामिल हों. उन्होंने कहा कि इसके आधार पर जी20 एक नयी दुनिया की इबारत लिख सकता है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हमारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता से हमारे समाजों को सामूहिकता तथा विश्वास के साथ संकट से लड़ने के लिए प्रेरित करने में मदद मिलती है. पृथ्वी के प्रति संरक्षण की भावना हमें एक स्वस्थ और समग्र जीवनशैली के लिए प्रेरित करती है.’’
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी को मानवता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण निर्णायक मोड़ तथा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती बताया. उन्होंने जी20 द्वारा निर्णायक कार्रवाई का आह्वान किया जो अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने, रोजगार और व्यापार सुदृढ़ होने तक सीमित नहीं हो, बल्कि जिसमें धरती के संरक्षण पर ध्यान हो.
मोदी ने कहा, ‘‘हम सभी मानवता के भविष्य के संरक्षक हैं.’’
सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने शासन प्रणालियों में वृहद पारदर्शिता की वकालत की जिससे हमारे नागरिकों को साझा चुनौतियों से निपटने की और विश्वास बढ़ाने की प्रेरणा मिलेगी. मोदी ने जी20 के प्रभावी कामकाज के लिए डिजिटल सुविधाओं के विकास के उद्देश्य से भारत के सूचना प्रौद्योगिकी कौशल की पेशकश की. प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि पिछले कुछ दशकों में जहां पूंजी और वित्त पर जोर रहा है, वहीं अब समय आ गया है कि मानव प्रतिभाओं का बड़ा पूल तैयार करने के लिए बहु-कौशल तथा पुन: कौशल पर ध्यान दिया जाए.
उन्होंने कहा कि इससे न केवल नागरिकों का सम्मान बढ़ेगा बल्कि नागरिक संकटों का सामना करने के लिहाज से और सक्षम बनेंगे. मोदी ने कहा कि नयी प्रौद्योगिकी का कोई भी आकलन जीवन की सुगमता और जीवन की गुणवत्ता पर उसके प्रभाव के आधार पर होना चाहिए. सम्मेलन में 19 सदस्य देशों, यूरोपीय संघ, अन्य आमंत्रित देशों के शासन प्रमुखों या राष्ट्राध्यक्षों ने तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
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