कर्नाटक कांग्रेस विधायक डेयरी सहकारी कंपनी ‘केओएमयूएल’ में नौकरियों की बिक्री में 'सीधे' शामिल : ईडी
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नयी दिल्ली, 11 जनवरी: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि कर्नाटक कांग्रेस विधायक के.वाई. नानजेगौड़ा की अध्यक्षता वाली एक समिति ने साक्षात्कार प्रक्रिया में “पूरी तरह से हेरफेर” करके और रिश्वत के बदले में कुछ राजनेताओं द्वारा नौकरियों के लिए सिफारिश किए गए 30 उम्मीदवारों को डेयरी सहकारी केओएमयूएल में “समायोजित” किया. कोलार जिले की मालूर विधानसभा सीट से 61 वर्षीय विधायक और उनसे जुड़े लोगों पर केंद्रीय एजेंसी ने आठ जनवरी को केओएमयूएल के लिए कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं और 150 करोड़ रुपये कीमत की सरकारी जमीन के अवैध आवंटन की धन शोधन जांच के तहत छापेमारी की थी.

ईडी ने एक बयान में कहा कि उसने कोलार-चिक्काबल्लापुरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (केओएमयूएल) में भर्ती में एक “घोटाले” का खुलासा किया. उसने कहा, “यह देखा गया कि के.वाई. नानजेगौड़ा और चार अन्य सदस्यों की अध्यक्षता वाली केओएमयूएल की भर्ती समिति ने साक्षात्कार प्रक्रिया में पूरी तरह से हेरफेर किया.” एजेंसी ने कहा, “बोर्ड के निर्णय के अनुसार चयनित अभ्यर्थियों को अंतिम परिणाम सार्वजनिक किये बिना ही प्रशिक्षण के लिए आदेश जारी कर दिये गये.”

ईडी ने दावा किया कि पड़ताल के दौरान केओएमयूएल के निदेशकों और इसकी भर्ती समिति के सदस्यों ने यह “स्वीकार” किया कि सीटें 20-30 लाख रुपये प्रति सीट के हिसाब से बेची गईं. बयान के मुताबिक, यह भी पता चला है कि कुछ राजनेताओं ने अपने उम्मीदवारों के लिए सिफारिश की थी और ऐसे कुल 30 सिफारिशी लोगों को समायोजित किया गया था. ईडी ने कहा, “भर्ती समिति के प्रमुख होने के नाते केवाई नानजेगौड़ा सीटों की बिक्री और साक्षात्कार के अंकों में हेरफेर में सक्रिय और सीधे तौर पर शामिल हैं.”

केओएमयूएल के अनुसार, यह कर्नाटक का दूसरा सबसे अधिक दूध उत्पादक जिला संगठन है. एजेंसी ने कहा कि कथित अवैध सरकारी भूमि आवंटन मामले में, उसने 25 लाख रुपये से अधिक नकद, 50 करोड़ रुपये से अधिक की चल और अचल संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज, विभिन्न “आपत्तिजनक” दस्तावेज और डिजिटल डेटा जब्त किए.

एजेंसी का आरोप है कि मलूर भूमि अनुदान समिति का अध्यक्ष होने के नाते, नानजेगौड़ा ने समिति के अन्य सदस्यों और राजस्व अधिकारियों के साथ “मिलीभगत से” एक ही महीने में चार बैठकों के तहत लगभग 150 करोड़ रुपये की लगभग 80 एकड़ भूमि विभिन्न लोगों को देकर अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया. एजेंसी ने आरोप लगाया कि फर्जी दस्तावेज बनाकर लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया गया.

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