नयी दिल्ली, 16 नवंबर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा है कि मत्स्यपालन को बढ़ावा देने की सरकार की पहल से देश का अंतर्देशीय मछली उत्पादन पिछले नौ साल में दोगुना से अधिक होकर 131 लाख टन हो गया है।
मंत्री ने इस बात का भी जिक्र किया कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछले नौ साल में विभिन्न कार्यक्रमों तहत लगभग 38,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है।
रूपाला ने बृहस्पतिवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इस क्षेत्र की अपार संभावनाओं और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए 21-22 नवंबर को अहमदाबाद में ‘ग्लोबल फिशरीज कॉन्फ्रेंस इंडिया 2023’ का आयोजन किया जा रहा है।
विचार-विमर्श से इस क्षेत्र के लिए भविष्य का खाका तैयार करने में मदद मिलेगी। मंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन में दुनियाभर से 5,000 से अधिक लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।
उन्होंने बताया कि एफएओ, विश्व बैंक और एडीबी जैसे वैश्विक संगठनों के साथ 50 से अधिक देशों के दूतावासों को इसमें आमंत्रित किया गया है।
इस कार्यक्रम में मछुआरों और मछली किसानों सहित क्षेत्र से जुड़े तमाम अंशधारकों के भी शामिल होने की उम्मीद है। मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग इस दो दिन के कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
वर्ष 2014 के बाद से इस क्षेत्र में उपलब्धियों के बारे में बात करते हुए रूपाला ने बताया कि अंतर्देशीय मछली उत्पादन वित्त वर्ष 2013-14 के 61 लाख टन से बढ़कर अब 131 लाख टन हो गया है।
वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का कुल मछली उत्पादन 174 लाख टन रहा। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक है, जो कुल वैश्विक मछली उत्पादन में आठ प्रतिशत का योगदान देता है।
रूपाला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मोदी सरकार ने वर्ष 2020-21 में शुरू की गई प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) सहित विभिन्न योजनाओं के तहत लगभग 38,000 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं।
उन्होंने कहा कि यह वर्ष 1947-2013 की अवधि के दौरान इस क्षेत्र के लिए कुल परिव्यय से काफी अधिक है।
मंत्री ने कहा कि सरकार मछुआरों को क्रेडिट कार्ड और बीमा योजना भी प्रदान कर रही है। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री एल मुरुगन ने कहा कि वैश्विक सम्मेलन 21 नवंबर से शुरू हो रहा है, जिसे विश्व मत्स्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि सम्मेलन उद्योग जगत के लोगों और स्टार्टअप कंपनियों को मंच प्रदान करेगा।
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, पिछले नौ साल में मत्स्यपालन क्षेत्र की औसत वृद्धि दर 8.6 प्रतिशत रही।
यह क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एक प्रतिशत से थोड़ा अधिक का योगदान देता है। भारतीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि प्राथमिक स्तर पर तीन करोड़ से अधिक मछुआरों और मछली किसानों और मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला के साथ कई अन्य लोगों को आजीविका और रोजगार प्रदान करती है।
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, भारत ने 8.09 अरब डॉलर मूल्य की मछली और मछली उत्पादों का निर्यात किया। निर्यात के एक बड़े हिस्से में फ्रोजन झींगा शामिल था, जिसकी निर्यात आय 5.48 अरब डॉलर थी।
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