नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर जिंदल स्टील एंड पावर लि. (जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक वी आर शर्मा ने कहा है कि घरेलू उद्योग को गैसीकरण तकनीक के जरिये कोयले का इस्तेमाल शुरू करना चाहिए। उन्होंने इस पर जोर दिया कि यह प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल है और इसमें कार्बन उत्सर्जन न्यूनतम है।
उन्होंने कहा कि गैसीकरण तकनीक भारत को तेल, गैस, मेथनॉल, अमोनिया, यूरिया और अन्य उत्पादों की कमी को दूर करने में भी मदद करेगी, जिससे देश आत्मनिर्भर बनेगा।
शर्मा ने कहा, ‘‘घरेलू उद्योग को गैसीकरण प्रक्रिया के माध्यम से कोयले का उपयोग करना चाहिए। खुली भट्टियों में कोयले को जलाना बंद कर देना चाहिए। जब हम कोयले को गैसीकृत करते हैं, तो कार्बन उत्सर्जन न्यूनतम होता है।’’
उन्होंने कहा कि भारत के पास अगले 300 वर्षों के लिए कोयले का भंडार है और उनका उपयोग करने का समय आ गया है।
प्रबंध निदेशक ने कहा कि कोयले को संश्लेषण गैस (सिनगैस) में परिवर्तित किया जा सकता है जिसका उपयोग बिजली, पेट्रोल, डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों के उत्पादन के लिए किया जा सकता है, जिससे कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम हो सकती है।
उन्होंने कहा कि सिनगैस का उपयोग स्पॉन्ज आयरन बनाने में, कांच और सिरेमिक उद्योग द्वारा और यहां तक कि खाना पकाने में भी किया जा सकता है। इसके अलावा भारत कोयला गैसीकरण उपाय के माध्यम से सबसे सस्ते हाइड्रोजन का उत्पादन कर सकता है।
उन्होंने कहा कि गैसीकरण प्रौद्योगिकी के उपयोग से न केवल देश ऐसे उत्पादों के लिए आत्मानिर्भर बनेगा, बल्कि भारत से बाहर जाने वाली विदेशी मुद्रा की भी काफी बचत होगी। उन्होंने कहा कि भारत ने 10 करोड़ टन कोयले के गैसीकरण का लक्ष्य रखा है। इसे बढ़ाकर 50 करोड़ टन किया जा सकता है।
शर्मा ने कहा कि भारत के पास 350 अरब टन का कोयला भंडार है और यह कोयले का सबसे बड़ा उत्पादक और आपूर्तिकर्ता है। कोल इंडिया का उत्पादन एक अरब टन भी नहीं है।
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