नयी दिल्ली, 28 नवंबर भारत के सहकारी क्षेत्र में 2030 तक प्रत्यक्ष रूप से 5.5 करोड़ नौकरियां और 5.6 करोड़ स्वरोजगार के अवसर सृजित करने की क्षमता है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
प्रबंधन परामर्श कंपनी प्राइमस पार्टनर्स ने बृहस्पतिवार को सहकारी क्षेत्र पर जारी रिपोर्ट में कहा कि भारत का सहकारी तंत्र वैश्विक स्तर पर 30 लाख सहकारी समितियों में से करीब 30 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ भारत 2030 तक 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है और ऐसे में सहकारी क्षेत्र आशा तथा क्षमता की किरण बना हुआ है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘ विश्व स्तर पर सबसे बड़े सहकारी तंत्रों में से एक के साथ भारत आर्थिक वृद्धि, सामाजिक समानता तथा समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र की अपार क्षमताओं का लाभ उठाने के लिए तैयार है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ भविष्य की ओर देखते हुए सहकारी समितियों में 2030 तक 5.5 करोड़ प्रत्यक्ष रोजगार और 5.6 करोड़ स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न करने की क्षमता है, जिससे रोजगार सृजनकर्ता के रूप में उनकी भूमिका और बढ़ जाएगी।’’
इसमें कहा गया है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर उनका प्रभाव भी उतना ही प्रभावशाली है। इनका 2030 तक संभावित योगदान तीन से पांच प्रतिशत तक हो सकता है। प्रत्यक्ष तथा स्वरोजगार दोनों की बात करें तो यह 10 प्रतिशत से अधिक हो सकता है।
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