नयी दिल्ली, 19 दिसंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने यमुना नदी के डूब क्षेत्र में अवैध रेत खनन के कथित मामलों पर उत्तरी दिल्ली और गाजियाबाद के जिलाधिकारियों समेत अन्य प्राधिकारियों से जवाब मांगा है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने उत्तरी दिल्ली के अलीपुर एवं गाजियाबाद के पंचयारा के बीच डूब क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के संबंध में एक अखबार की खबर का स्वतः संज्ञान लिया।
मामले में उत्तरी दिल्ली और गाजियाबाद के जिलाधिकारियों तथा केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय को प्रतिवादी बनाया गया है।
एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिवों को भी प्रतिवादी बनाया है।
इसने कहा, ‘‘उपरोक्त प्रतिवादियों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया जाए।’’
खबर में दावा किया गया कि क्षेत्र में अवैध रेत खनन करने वाले नदी के आसपास अस्थायी सड़कें बना रहे हैं, जिससे वे उत्खनन मशीनों को ले जा सकें और बाढ़ क्षेत्र में खनन कार्य कर सकें।
मामले की अगली सुनवाई 14 अप्रैल, 2025 को होगी।
शफीक रंजन
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