मुंबई, 1 दिसंबर : बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक सामाजिक कार्यकर्ता से जानना चाहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले पर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की हालिया टिप्पणी के खिलाफ उसकी याचिका कैसे एक जनहित याचिका (पीआईएल) है. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि अदालत राज्यपाल को बोलने से रोकने के आदेश कैसे पारित कर सकती है.
अधिवक्ता नितिन सातपुते के जरिये दीपक मावला द्वारा दायर जनहित याचिका में छत्रपति शिवाजी महाराज और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले के खिलाफ कथित अपमानजनक और उपहासपूर्ण बयानों के लिए कोश्यारी के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई है. यह भी पढ़ें : एक व्यक्ति के खुद को आईपीएस बताकर धन ऐंठने के मामले में टीआरएस नेता पेश हुए सीबीआई के सामने
याचिका में अदालत से कोश्यारी को भविष्य में ऐसी कोई टिप्पणी नहीं करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है, जिससे राज्यपाल के कार्यालय की गरिमा कम हो. सातपुते ने बृहस्पतिवार को तत्काल सुनवाई की मांग वाली जनहित याचिका का खंडपीठ के समक्ष उल्लेख किया. मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने पूछा, “यह एक जनहित याचिका कैसे है? और कैसे हम रोक सकते हैं?”. अदालत ने कहा कि वह याचिका पर विचार करेगी और फिर तय करेगी कि मामले को सुनवाई के लिए कब रखा जाए.