शिमला, 20 सितंबर हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को 780 मेगावाट की जंगी थोपन पोवारी पनबिजली परियोजना को हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीपीसीएल) को सौंपने को मंजूरी दे दी।
राज्य मंत्रिमंडल ने नवंबर, 2023 में किन्नौर जिले में सतलुज नदी के तट पर स्थित पनबिजली परियोजना का आवंटन एसजेवीएन को रद्द कर दिया क्योंकि कंपनी निर्धारित समय में परियोजना के कार्यान्वयन में प्रगति हासिल करने में विफल रही।
यह परियोजना नवंबर, 2018 में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान एसजेवीएनएल को दी गई थी। सितंबर, 2019 में एसजेवीएनएल और राज्य सरकार के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे और मई 2021 में केंद्र द्वारा 93.24 करोड़ रुपये की निर्माण पूर्व गतिविधियों के लिए निवेश की मंजूरी दी गई थी।
एक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में 1,630 मेगावाट की रेणुकाजी और 270 मेगावाट की थाना प्लाऊन पंप भंडारण पनबिजली परियोजनाओं को एचपीपीसीएल के पक्ष में आवंटित करने का भी निर्णय लिया गया।
बैठक में रोगी कल्याण समितियों को सुदृढ़ बनाने के लिए सिफारिशें देने हेतु स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शांडिल की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडल उप समिति के गठन को मंजूरी दी गई। इसमें ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी तथा आयुष मंत्री यादविंदर गोमा सदस्य होंगे।
मंत्रिमंडल ने सोलन स्थित राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को राज्य स्तर पर स्कूल एवं शिक्षक प्रशिक्षण के लिए शीर्ष संस्थान के रूप में पदोन्नत करने को भी अपनी मंजूरी दे दी। इसका उद्देश्य शैक्षणिक अनुसंधान को बढ़ावा देना तथा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है।
इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने शिक्षकों के व्यावसायिक विकास के लिए 12 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डीआईईटी) को सुदृढ़ करने का निर्णय लिया।
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