देश की खबरें | उच्च न्यायालय ने पोक्सो मामले में येदियुरप्पा की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

बेंगलुरु, 14 जून कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) को एक पॉक्सो मामले में पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को गिरफ्तार न करने का निर्देश दिया।

उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ भाजपा नेता येदियुरप्पा को भी मामले की जांच कर रही सीआईडी के समक्ष 17 जून को पेश होने का निर्देश दिया।

बेंगलुरु की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को येदियुरप्पा के खिलाफ पॉक्सो मामले में गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। यह मामला इस वर्ष 14 मार्च को दर्ज किया गया था।

सीआईडी के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बुधवार को पूछताछ के लिए येदियुरप्पा के पेश नहीं होने पर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अनुरोध करते हुए त्वरित (फास्ट ट्रैक) अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

येदियुरप्पा ने सीआईडी ​​के जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने के लिए समय मांगा था।

खबरों के अनुसार वरिष्ठ भाजपा नेता नयी दिल्ली में किसी ‘अज्ञात’ स्थान पर चले गये हैं।

पुलिस के अनुसार, येदियुरप्पा पर 17 वर्षीय एक किशोरी की मां की शिकायत के आधार पर यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 354 ए (यौन उत्पीड़न) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

किशोरी की मां ने येदियुरप्पा पर आरोप लगाया कि उन्होंने इस साल दो फरवरी को यहां डॉलर्स कॉलोनी स्थित अपने आवास पर एक भेंट के दौरान उसकी बेटी के साथ छेड़खानी की थी।

येदियुरप्पा (81) ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि वह कानूनी रूप से इस मामले का मुकाबला करेंगे।

उन्होंने उच्च न्यायालय में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कर अनुरोध किया था कि उन्हें अग्रिम जमानत दी जाए और उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज की जाए।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि 81 वर्षीय येदियुरप्पा अब अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में हैं और उन्हें गिरफ्तार करना उपयुक्त नहीं है।

उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित ने कहा कि येदियुरप्पा ने पुलिस को पत्र भेजकर 17 जून को पूछताछ के लिए पेश होने की इच्छा प्रकट की है।

न्यायमूर्ति दीक्षित ने कहा, ‘‘ यह अदालत इस निष्कर्ष पर तुरंत नहीं पहुंच सकती है कि राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके तथा अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव, जहां वृद्धावस्था संबंधी बीमारियां स्वभाविक होती हैं, में पहुंच चुके याचिकाकर्ता को गिरफ्तार करने, हिरासत में लेने या हिरासत में रखकर पूछताछ करने के लिए यह मामला बनाया गया है।’’

येदियुरप्पा के वकील सी वी नागेश ने अदालत में कहा कि येदियुरप्पा को सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस भेजा गया है इसलिए, उनकी गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं है।

नागेश ने उच्चतम न्यायालय के फैसलों का भी हवाला दिया और उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत देने का अनुरोध किया।

सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने यह कहते हुए उच्च न्यायालय को राजी करने का प्रयास किया कि येदियुरप्पा एसआईटी के दो नोटिस की अनदेखी कर चुके हैं।

शेट्टी ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी वारंट जरूरी था क्योंकि येदियुरप्पा कर्नाटक में नहीं हैं तथा बिना वारंट के अन्य राज्य की पुलिस आरोपी को हिरासत में लेने पर उसकी (कर्नाटक पुलिस की) कोई मदद नहीं करेगी।

इसपर नागेश ने कहा कि येदियुरप्पा पहले ही पूछताछ के लिए पेश हो चुके हैं, अपनी आवाज का नमूना दे चुके हैं तथा उन्होंने जांच में पुलिस के साथ पूरा सहयोग किया है।

इसी बीच, पीड़िता के वकील बालन ने अदालत से कहा कि पुलिस ने इस मामले की जांच उपयुक्त ढंग से नहीं की है इसलिए गिरफ्तारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि सबूतों को छेड़छाड़ से बचाने के लिए आरोपी को हिरासत में लेना और जांच जारी रखना जरूरी है।

इसपर नागेश ने पीड़िता की मां द्वारा अपने बेटे और पति के विरूद्ध दर्ज कराये गये अन्य मामलों की ओर अदालत का ध्यान आकृष्ट किया।

किशोरी के भाई ने इस सप्ताह के प्रारंभ में एक अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि वैसे तो 14 मार्च को ही मामला दर्ज कर लिया गया था लेकिन जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है। उसने अनुरोध किया था कि येदियुरप्पा को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की जानी चाहिए।

सदाशिवनगर पुलिस द्वारा 14 मार्च को मामला दर्ज किये जाने के बाद कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक आलोक मोहन ने एक आदेश जारी कर मामले को जांच के लिए सीआईडी ​​को स्थानांतरित कर दिया था।

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