चंडीगढ़, आठ अक्टूबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जहां हरियाणा में सत्ता में कायम रहती दिख रही है, वहीं कांग्रेस का चुनाव अभियान, जो बेरोजगारी, किसानों की दुर्दशा और अग्निपथ योजना सहित विभिन्न मुद्दों पर आधारित था, अधिकांश मतदाताओं को प्रभावित करने में विफल रहा।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का जोरदार प्रचार अभियान भी पार्टी को अपेक्षित परिणाम नहीं दिला सका।
कांग्रेस इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से एक दशक के बाद सत्ता पाने के लिए प्रयास कर रही थी।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए आज हो रही मतगणना के अब तक के रुझानों से स्पष्ट है कि भाजपा बहुमत के आंकड़े को पार कर रही है। वह 51 सीट पर आगे है, वहीं कांग्रेस 34 पर आगे है।
कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रचार अभियान में बेरोजगारी, किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की मांग, अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना और महंगाई जैसे मुद्दे उठाकर राज्य में भाजपा की एक दशक पुरानी सरकार पर निशाना साधा था।
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने सरकारी नौकरियां देने तथा हरियाणा के रहने वाले अग्निवीर को गारंटी वाली और पेंशन वाली नौकरी देने का वादा करके कांग्रेस के आरोपों का जवाब दिया।
भाजपा ने आरोप लगाया कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की 10 साल की सरकार के दौरान सरकारी नौकरियों में ‘खर्ची और पर्ची’ चलती थी।
उसने हरियाणा में 24 फसलों पर एमएसपी दिए जाने का भी उल्लेख किया और कहा कि यह ऐसा करने वाला पहला राज्य है।
मार्च महीने में मनोहर लाल खट्टर को हटाकर अन्य पिछड़ा वर्ग के नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाना भी सत्तारूढ़ दल के लिए लाभ का सौदा साबित हुआ।
सैनी ने जब मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तब भाजपा सत्ता-विरोधी लहर का सामना कर रही थी।
भाजपा ने कांग्रेस में आंतरिक कलह होने का आरोप लगाते हुए इसे भी मुद्दा बनाया।
गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर कुमारी शैलजा जैसे दलित नेताओं का अपमान करने का आरोप लगाया।
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