नयी दिल्ली,11 मई उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसी राज्य के राज्यपाल के पास राजनीतिक दायरे में दाखिल होने तथा अंतर-दलीय विवादों या पार्टी के आंतरिक विवादों में भूमिका निभाने की शक्तियां नहीं होती।
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने के लिए कहना ‘‘कानून के अनुरूप नहीं था।’’
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई में गठित पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने हालांकि कहा कि राज्यपाल का 30 जून 2022 का वह निर्णय जिसमें एकनाथ शिंदे को नयी सरकार गठित करने के लिए आमंत्रित किया गया था, उचित है क्योंकि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण कराए बिना ही पद से इस्तीफा दे दिया था।
शिवसेना में शिंदे गुट की बगावत के बाद तीन दलों वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के गिरने के कारण राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं पर सर्वसम्मति वाले फैसले में पीठ ने कहा कि राज्यपाल के पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए सामग्री नहीं थी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे ने सदन का विश्वास खो दिया था।
पीठ में न्यायमूर्ति एम.आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा शामिल थे। पीठ ने कहा, ‘‘राज्यपाल के पास ऐसी कोई सामग्री नहीं थी जिसके आधार पर वह सरकार के भरोसे पर संदेह करते। जिस प्रस्ताव पर राज्यपाल ने भरोसा जताया, उसमें ऐसा कोई संकेत नहीं था कि विधायक एमवीए सरकार से बाहर निकलना चाहते हैं। कुछ विधायकों की ओर से असंतोष व्यक्त करने वाला पत्र राज्यपाल द्वारा शक्ति परीक्षण के आह्वान के लिए पर्याप्त नहीं है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘राज्यपाल राज्य सरकार का नाममात्र का प्रमुख होता है। वह एक संवैधानिक पदाधिकारी होता है जो संविधान से अपनी शक्तियां लेता है। इस मामले में राज्यपाल को उन्हें मिली संवैधानिक शक्तियों के दायरे के बारे में जानकारी होगी। वह ऐसी शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकते जो उन्हें संविधान से अथवा उसके तहत बने कानून में उन्हें नहीं दी गई हैं।’’
पीठ की ओर से 141 पन्नों का फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना राज्यपाल द्वारा उचित था। पीठ ने कहा, ‘‘29 जून, 2022 को ठाकरे के इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद रिक्त हो गया था। विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी (भाजपा) के नेता (देवेंद्र फडणवीस) ने शिंदे को पार्टी की ओर से समर्थन दिया। इस प्रकार, 30 जून, 2022 को शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने का राज्यपाल का निर्णय उचित था।’’
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