नयी दिल्ली, 30 नवंबर रक्षा मंत्रालय ने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य के शॉर्ट रिफिट (मरम्मत) और ड्राई डॉकिंग के लिए 1,207 करोड़ रुपये की लागत से सरकारी कंपनी कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के साथ शनिवार को एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
आईएनएस विक्रमादित्य कीव श्रेणी का एक संशोधित विमानवाहक पोत है, जिसे भारत ने 2013 में रूस से 2.3 अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे के तहत खरीदा था और इसका नाम बदलकर महान सम्राट विक्रमादित्य के सम्मान में रखा गया था।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “रक्षा मंत्रालय ने 30 नवंबर को आईएनएस विक्रमादित्य की शॉर्ट रिफिट और ड्राई डॉकिंग के लिए मेसर्स कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के साथ 1,207.5 करोड़ रुपये की कुल लागत से एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।”
इसमें कहा गया है कि मरम्मत का काम पूरा होने के बाद आईएनएस विक्रमादित्य उन्नत लड़ाकू क्षमता के साथ भारतीय नौसेना के सक्रिय बेड़े में शामिल हो जाएगा।
‘ड्राई डॉकिंग’ एक प्रक्रिया है जिसमें जहाज को पानी से बाहर निकाला जाता है ताकि जलरेखा के नीचे जहाज के बाहरी हिस्से पर काम किया जा सके।
कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड को रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) केंद्र के रूप में विकसित करभारत के औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना में लगभग 50 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की भागीदारी होगी और इससे 3500से अधिक कर्मियों के लिए रोजगार सृजन होगा।
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