नयी दिल्ली, 22 नवंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली नगर निगम के आयुक्त और अन्य से राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते कचरे के ढेर के संबंध में जवाब मांगा है।
सिंघोला और बवाना में कचरे के नये पहाड़ बनने पर अधिकरण ने यह कदम उठाया।
हरित अधिकरण ने एक समाचार पत्र की रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया था, जिसमें दावा किया गया था कि बवाना में जेजे कॉलोनी के पास नरेला-बवाना अपशिष्ट-से-ऊर्जा (डब्ल्यूटीई) बनाने के संयंत्र के निकट ‘‘बन रहा कचरे का पहाड़’’ उस क्षेत्र में स्थित 13 मंजिला आवासीय भवनों जितना ऊंचा है।
खबर के अनुसार, लगभग आठ किलोमीटर दूर, जीटी करनाल रोड की ओर सिंघोला गांव के पास, सात एकड़ का एक भूखंड, जिसका उपयोग पहले गाद जमा करने के लिए किया जाता था, उसमें प्लास्टिक, अपशिष्ट पदार्थ और मलबे के साथ लगभग नौ लाख टन गाद जमा हो गई है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 19 नवंबर के आदेश में कहा, “समाचार में दावा किया गया है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने प्रतिदिन 4,000 टन ठोस कचरे के प्रसंस्करण के लिए नरेला में एक आधुनिक लैंडफिल और 24 मेगावाट डब्ल्यूटीई संयंत्र बनाने की योजना बनाई थी और डेवलपर्स और एनडीएमसी के बीच विवादों के कारण हुई देरी के बावजूद, परियोजना को अंततः मार्च 2017 में शुरू किया गया था।’’
पीठ में विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल भी शामिल थे। पीठ ने रिपोर्ट पर गौर किया, जिसके अनुसार स्थानीय निवासी इस प्रणाली की प्रभावशीलता से असहमत थे और उनका कहना था कि संयंत्र के संचालन के बावजूद कचरे का ढेर बढ़ता जा रहा है।
इसमें कहा गया है कि समाचार में पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन से संबंधित “महत्वपूर्ण मुद्दे” उठाए गए हैं।
अधिकरण ने एमसीडी आयुक्त, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के सदस्य सचिवों, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और उत्तर-पश्चिम जिले के जिलाधिकारी को प्रतिवादी या पक्षकार बनाया है।
अधिकरण ने कहा, “प्रतिवादियों को अगली सुनवाई की तारीख (3 मार्च) से एक सप्ताह पहले हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करें।”
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