देश की खबरें | किसान 18 दिसंबर को न्यायालय की ओर से गठित समिति से नहीं मिल पाएंगे: डल्लेवाल

चंडीगढ़, 17 दिसंबर पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने मंगलवार को कहा कि किसान 18 दिसंबर को पंचकूला में उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति से नहीं मिल पाएंगे।

डल्लेवाल ने समिति का नेतृत्व करने वाले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह को लिखे पत्र में कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के दो मंचों ने फैसला किया है कि वे उनकी चिकित्सा स्थिति और शंभू सीमा पर घायल किसानों की स्थिति के मद्देनजर समिति से नहीं मिल पाएंगे।

उन्होंने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर केवल केंद्र सरकार से ही बातचीत करेंगे।

उच्चतम न्यायालय ने 13 दिसंबर को सुनवाई के दौरान कहा था कि समिति प्रदर्शनकारी किसानों से बात करेगी और अदालत को सिफारिशें देगी, जिन्हें अंततः निर्णय के लिए हितधारकों के समक्ष रखा जाएगा।

अदालत ने यह भी कहा कि प्रदर्शनकारी किसान अस्थायी रूप से अपना प्रदर्शन स्थल बदल सकते हैं और राजमार्गों को खाली कर सकते हैं या शायद अस्थायी रूप से चल रहे आंदोलन को निलंबित भी कर सकते हैं ताकि समिति हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद अपनी सिफारिशें दे सके।

पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए दो सितंबर को समिति का गठन किया गया था।

न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने किसानों को 18 दिसंबर को हरियाणा के पंचकूला में बैठक करने के लिए आमंत्रित किया है।

डल्लेवाल ने मंगलवार को लिखे पत्र में कहा कि वह 26 नवंबर से अनशन पर हैं और मंगलवार को उनका आमरण अनशन 22वें दिन में प्रवेश कर गया है।

उन्होंने लिखा कि शंभू सीमा पर ‘‘पुलिस ज्यादतियों’’ के दौरान कम से कम 40 किसान तब घायल हो गए जब वे पैदल दिल्ली जाने की कोशिश कर रहे थे।

डल्लेवाल ने लिखा, ‘‘आपकी समिति का गठन माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा किसानों और सरकारों के बीच विश्वास बहाल करने के लिए किया गया था, लेकिन आपने अभी तक उसके लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया है और न ही हमारी जायज मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार से बातचीत करने का कोई गंभीर प्रयास किया है।’’

उन्होंने कहा कि हमारा प्रतिनिधिमंडल चार नवंबर को आपसे मिला था, लेकिन इतनी गंभीर स्थिति होने के बावजूद समिति को अभी तक खनौरी और शंभू आने का समय नहीं मिला है। मुझे यह देखकर बहुत दुख हुआ कि आप इतने विलंब के बाद सक्रिय हुए हैं।

कैंसर पीड़ित डल्लेवाल (70) ने लिखा, ‘‘क्या यह समिति मेरी मौत का इंतजार कर रही थी? हमें समिति के सभी सदस्यों से ऐसी असंवेदनशीलता की उम्मीद नहीं थी।’’

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली जाने से रोके जाने के बाद 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं।

आंदोलनकारी किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’ की मांग कर रहे हैं।

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