चंडीगढ़, 18 नवंबर पंजाब के विभिन्न किसान संगठनों ने बुधवार को यात्री रेलगाड़ियों का मार्ग बाधित करने के फैसले को जारी रखने का निर्णय लिया। वहीं, मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किसान संगठनों के इस ‘बेपरवाह’ रुख की आलोचना की जो आंदोलन के प्रति सहानुभूति रखते रहे हैं।
किसान संगठनों ने यहा हुई बैठक में फैसला लिया कि वे यात्री गाड़ियों को चलाने देने पर विचार करेंगे अगर राज्य और केंद्र मालगाड़ियों के परिचालन पहले शुरू करे।
उल्लेखीय है कि किसानों, केंद्र और रेलवे के बीच हफ्तों से जारी गतिरोध की वजह से राज्य में उर्वरक, विद्युत गृहों के लिए कोयला सहित आवश्यक सामग्री की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
रेलवे ने पंजाब में मालगाड़ियों के परिचालन को बहाल करने से इनकार कर दिया है। रेलवे का कहना है कि या तो वह मालगाड़ी और यात्री गाड़ी दोनों का परिचालन करेगा या फिर किसी का भी परिचालन नहीं करेगा।
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किसान केंद्र द्वारा लागू कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और उनका आरोप है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली खत्म हो जाएगी।
किसान नेता रुलदू सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब के किसानों, कारोबारारियों और श्रमिकों के प्रति ‘अड़ियल’ रवैये अपना लिया है जिसकी हम निंदा करते हैं।
उन्होंने करीब एक महीना हो गया है जब किसान संगठनों ने मालगाड़ियों को बाधित नहीं करने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि अगर केंद्र पहले मालगाड़ियों का परिचालन शुरू करे इसके बाद वे यात्री रेलगाड़ियों को चलने देने पर विचार करेंगे।
पंजाब किसान यूनियन के नेता सिंह ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार को पहले मालगाड़ियों का परिचालन शुरू करना चाहिए और उसके बाद हम यात्री गाड़ियों के परिचालन पर आपात बैठक कर फैसला करेंगे।’’
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘अगर केंद्र मालगाड़ियों का परिचालन शुरू करता है तो हम यात्री गाड़ियों के बारे में सोचेंगे।’’
किसानों ने दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश के साथ हुई बैठक बेनतीजा रहने के कई दिन बाद किसान संगठनों की यह बैठक हुई।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने रेल नाकेबंदी को खत्म करने से इनकार करने के किसान संघों के फैसले पर निराशा जताई और कहा कि इस वजह से राज्य पिछले डेढ़ महीने से पंगु बना हुआ है।
एक बयान में मुख्यमंत्री ने किसान संघों के फैसले को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और कहा कि यात्री ट्रेनों के लिए उनकी नाकेबंदी मालगाड़ियों की आवाजाही भी रोक रहा है।
उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे पंजाब के हित में अपना अड़ियल रवैया छोड़ेंगे, खासकर यह देखते हुए कि पंजाब सरकार उनका पूर्ण समर्थन कर रही है।
वहीं, रुलदू सिंह ने कहा कि करीब 30 किसान संगठनों के प्रतिनिधि कृषि कानूनों के खिलाफ 26 और 27 नवंबर को दिल्ली प्रदर्शन करने के लिए ट्रैक्टर से जाने को तैयार हैं।
उन्होंने बताया, ‘‘लाखों किसान ट्रैक्टर से दिल्ली जाने को तैयार हैं।
कोरोना वायरस महामारी के चलते दिल्ली में विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं देने पर उन्होंने कहा कि यह ‘बहाना’ है।
सिंह ने कहा, ‘‘वे अनुमति दें या नहीं, हम दिल्ली जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।’’
उल्लेखनीय है कि ‘दिल्ली चलो’ प्रदर्शन का आह्वान पूरे देश के 200 किसान संगठनों के मंच ‘ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किया है।
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसान राज्य में भाजपा नेताओं के घर के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं।
उनसे पूछा गया कि क्या वह भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी घेराव करेंगे अगर वह पंजाब आते हैं? इस पर सिंह ने कहा कि वे निश्चित रूप से ऐसा करेंगे।
उल्लेखनीय है कि नड्डा 19 नवंबर को पंजाब के 10 जिलों के पार्टी कार्यालय का डिजिटल उद्घाटन करेंगे। इसके बाद वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी की तैयारियों की समीक्षा के लिए उनका तीन दिन का पंजाब दौरा प्रस्तावित है।
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