कोटा, 11 सितंबर आत्महत्या रोकथाम के विशेषज्ञों ने अन्य संगठनों के साथ मिलकर विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर युवाओं, खासकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के बीच आत्महत्या की प्रवृत्ति रोकने के उपायों पर चर्चा की।
‘मैं भी अभिभावक हूं’ शीर्षक वाली यह परिचर्चा मंगलवार को कोटा में लैंडमार्क सिटी स्थित एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के सदगुण सभागार में आयोजित की गई। इसके आयोजकों में कोटा जिला प्रशासन, होप सोसाइटी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स भी शामिल रहे।
कोटा में एक दशक से अधिक समय से आत्महत्या की रोकथाम के क्षेत्र में काम कर रहे अनुभवी मनोचिकित्सक और होप सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. एमएल अग्रवाल ने छात्र आत्महत्या से जुड़े मामलों के कारण शहर की छवि खराब होने पर चिंता जताई।
उन्होंने कहा, “प्रत्येक आत्महत्या दुखद है, लेकिन कोटा को आत्महत्याओं के लिए अत्यधिक बदनाम किया जा रहा है, जो गलत है।”
डॉ. अग्रवाल ने दावा किया कि देश के बाकी हिस्सों की तुलना में कोटा और राजस्थान में आत्महत्याओं की संख्या बहुत कम है। उन्होंने आगाह किया, “आत्महत्या से जुड़ी खबरों को प्रमुखता देना भी आत्महत्या के लिए उकसा सकता है।”
एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के मुख्य मनोवैज्ञानिक डॉ. हरीश शर्मा ने कहा, “हमें सतर्क रहने और छात्रों तथा उनके अभिभावकों के व्यवहार को समझने की जरूरत है।'
संस्थान के निदेशक डॉ. गोविंद माहेश्वरी ने कहा कि पहले इस विषय पर बहुत कम चर्चा होती थी, लेकिन छात्रों के साथ नियमित बातचीत करके इसे बदलने की जरूरत है।
आत्महत्या रोकथाम के प्रयासों से जुड़े डॉ. हिमांशु शर्मा ने छात्रों में आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए जिला प्रशासन, कोचिंग संस्थानों और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय में किए जा रहे विभिन्न उपायों के बारे में बात की।
उन्होंने बताया कि छात्रों की उपस्थिति पर नजर रखना, कक्षाओं में उनके व्यवहार की निगरानी करना, छात्रावास के मेस में विभिन्न जागरुकता अभियान चलाना कुछ प्रमुख पहल हैं।
हर साल देश भर से दो लाख से अधिक छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के वास्ते कोटा पहुंचते हैं। शहर में लगभग 4,500 हॉस्टल और 45,000 पेइंग गेस्ट आवास हैं। छात्र भोजन, स्टेशनरी और परिवहन पर भी खर्च करते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलता है।
हालांकि, शहर में अभ्यर्थियों के बीच आत्महत्या के मामलों की बढ़ती संख्या ने स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इस साल जनवरी से लेकर अब तक कोटा में 14 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं, जबकि 2023 में शहर में आत्महत्या के 26 मामले सामने आए थे।
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