नयी दिल्ली, 12 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि आर्थिक संकेतक भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के उत्साहजनक संकेत दे रहे हैं और वह सरकारी हस्तक्षेप को न्यूनतम रखने तथा निजी पूंजी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि महामारी के इस वक्त में सरकारी की सर्वोच्च प्राथमिकता अपने नागरिकों के जीवन को बचाने की थी और भारत ने जिस तरह ठोस प्रयासों के जरिए संकट को संभाला, उसने दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया।
उन्होंने कहा कि पिछले साल फरवरी में जब महामारी शुरू हुई थी, उसके मुकाबले दिसंबर में चीजें काफी बदल गई हैं और अब इससे निपटने की एक कार्ययोजना हमारे पास है।
मोदी ने कहा, ‘‘यहां तक कि आर्थिक संकेतक भी उत्साहजनक हैं।’’
उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले छह वर्षों में वैश्विक निवेशकों के बीच भरोसे को बढ़ाया है।
प्रधानमंत्री ने उद्योग संगठन फिक्की के वार्षिक अधिवेशन में कहा, ‘‘इसके चलते महामारी के दौरान भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी।’’
उन्होंने कहा कि निर्णायक सरकार हमेशा दूसरों की बाधाओं को दूर करने की कोशिश करती है और हमेशा समाज तथा राष्ट्र के लिए योगदान करने की कोशिश करती है।
उस समय को याद करते हुए जब सरकार सभी क्षेत्रों में थी, उन्होंने कहा कि एक दूरदर्शी और निर्णायक सरकार सभी हितधारकों को उनकी क्षमता का एहसास करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
मोदी ने कहा कि पिछले छह वर्षों में सरकार ने सभी क्षेत्रों में हितधारकों को प्रोत्साहित किया है और यह विनिर्माण से लेकर एमएसएमई तक, सभी क्षेत्रों में देखा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कराधान सुधार के चलते भारत में कॉरपोरेट कर की दर काफी कम हुई है और कर आतंकवाद तथा इंस्पेक्टर राज के निशान को पीछे छोड़ते हुए फेसलेस मूल्यांकन और फेसलेस अपील की शुरुआत हुई है।
उन्होंने कहा कि विनिर्माण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की गई है।
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