गुजरात के लोगों को वापस ना भेजा तो निष्पक्ष नहीं होगा चुनाव: अध्यक्ष अखिलेश यादव
अखिलेश यादव (Photo: Twitter)

लखनऊ, 16 जनवरी : समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह राज्य विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात के लोगों को बुलाकर उन्हें अफवाह, झूठ, साजिश और नफरत फैलाने का प्रशिक्षण दे रही है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने चुनाव आयोग से मांग की है कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दूसरे राज्यों से आए लोगों को वापस उनके प्रदेश भेजा जाए. सपा अध्यक्ष ने कहा कि गुजरात के लोगों को वापस नहीं भेजा गया तो चुनाव निष्पक्ष नहीं होगा. सपा मुख्यालय में रविवार को राज्य सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री पद से इस्तीफा देकर आए दारा सिंह चौहान और उनके समर्थक नेताओं-कार्यकर्ताओं तथा अपना दल (एस) विधायक डॉ. आरके वर्मा को समाजवादी पार्टी में शामिल कराने के बाद अखिलेश यादव ने गुजरात को लेकर भाजपा पर हमला बोला. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनका कोई कार्यकर्ता दूसरे प्रदेश से नहीं आया है.

अखिलेश ने कहा, “मैं चुनाव आयोग से लिखकर शिकायत करूंगा कि कोविड प्रोटोकॉल को मानते हुए राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत अन्य दूसरे प्रदेश से आए लोगों को वापस उनके प्रदेश में भेजा जाए.” अखिलेश ने कहा कि गुजरात के लोगों को वापस नहीं भेजा गया तो चुनाव निष्पक्ष नहीं होगा क्योंकि सोशल मीडिया पर तस्वीरें आई थीं कि गुजरात के लोग यहां पर अफवाह फैलाने के लिए, साजिश करने के लिए, झूठ फैलाने के लिए, पैसा बांटने के लिए और लोगों के बीच नफरत फैलाने के लिए प्रशिक्षण ले रहे ह‍ैं. कानपुर के पुलिस आयुक्त पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरुण को भाजपा में शामिल करने के मौके पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा समाजवादी पार्टी पर लगाए गए आरोपों की याद दिलाने पर अखिलेश ने कहा, “आप उत्तर प्रदेश के पत्रकार हैं, आप उनके (अनुराग ठाकुर के) सवालों के चक्कर में न पड़ें, आप प्रदेश की जनता का हित देखिए, जब अनुराग ठाकुर जैसे मंत्री आपसे कुछ कहें तो आप उनसे पूछिए कि आप जिस विभाग में मंत्री थे और जिस विभाग में मंत्री हैं उसने उत्तर प्रदेश को क्या दिया. जो कार्य सपा सरकार ने किया है उसकी आप कल्पना नहीं कर सकते.” अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “अगर आप बहुत निष्पक्ष और ईमानदार पत्रकार हैं तो ऐसे आदमी (अनुराग ठाकुर) का आंकड़ा निकाल लीजिए और अगली बार बोलें तो उनके मुंह पर चिपका देना.”

उल्लेखनीय है कि रविवार को भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय में पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरुण को पार्टी में शामिल कराने के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था, “समाजवादी पार्टी में वो जाते हैं जो दंगा करते हैं और भाजपा में वह लोग शामिल होते हैं जो दंगाइयों को पकड़ते हैं. सपा के समाजवाद का असली खेल या तो प्रत्याशी को जेल या फिर बेल है.” उन्होंने कहा कि सपा ने फ‍िर से साफ कर दिया है कि वह प्रदेश को फिर दंगा प्रदेश बनाने की कोशिश कर रही है. इस मौके पर असीम अरुण ने कहा कि पांच वर्ष में भाजपा सरकार में कानून व्यवस्था बेहतर रही और पुलिस को काम करने में सहूलियत मिली. असीम अरुण के मसले पर सपा प्रमुख ने कहा, “सोचो वर्दी में कैसे-कैसे लोग छिपे थे. यही बात तो मैं पहले दिन से कहता आया हूं, क्‍या आप पंचायत का चुनाव भूल गए. पंचायत का चुनाव जब उत्तर प्रदेश में हुआ था तो मैंने कहा था कि भाजपा के लिए जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं.” यह भी पढ़ें : Rajasthan Shocker: पिता ने रिश्ते को किया शर्मसार, शराब के नशे में धूत होने पर नाबालिग बेटी को डरा धमकाकर करता था दुष्कर्म

अखिलेश ने कहा, “उत्तर प्रदेश की बहनों और माताओं के साथ क्या घटना घटी, कोई कल्पना कर सकता है आज के समय में. एक बहन के कपड़े फाड़ दिए जाएं. भाजपा के गृह राज्य मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचल दिया और गोरखपुर कैसे भूल जाओगे जहां एक व्यापारी को पुलिस ने पीट-पीट कर मार दिया.” अखिलेश ने कहा, “पुलिस के लोगों ने लगातार अन्याय किया और आज उन्हें इनाम मिल रहा है. जहां कहीं भी इनाम मिलेगा उनकी जमानत जब्त होगी. जहां से चुनाव लड़ने जाएंगे उनकी जमानत जब्त होगी.” सपा अध्यक्ष ने कहा, “मैं चुनाव आयोग से शिकायत करूंगा कि पिछले पांच साल तक जो अधिकारी लगातार असीम अरुण के साथ ड्यूटी पर रहे हैं, उनको भी हटाया जाए वरना वे भाजपा कार्यकर्ता के रूप में कार्य करेंगे.” अखिलेश ने कहा कि एक अधिकारी किसी पार्टी से कितना संबंध रख सकता है यह उदाहरण मिल गया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि चुनाव आयोग ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करेगा और आयोग ने यदि ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की, तो आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठेगा.