कोच्चि, 23 सितंबर : कोविड टीकाकरण प्रमाणपत्र में टीके की दूसरी खुराक की तारीख और स्थान गलत लिखे होने के कारण केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को यह पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए कि क्या यह सचमुच हुई गलती थी या जानबूझकर ऐसा किया गया. न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि अगर प्रमाणपत्र में गलत जानकारियां जानबूझकर दी गयी हैं तो इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है. अदालत ने एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी को इसकी जांच करने के निर्देश दिये कि क्या प्रमाणपत्र के अनुसार, टीके की दूसरी खुराक लेने वाली जगह कोई टीकाकरण केंद्र था. उसने कहा कि अगर यह गलती थी तो यह समझा जा सकता है और सुधार के साथ एक नया प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है.
अदालत ने कहा, ‘‘लेकिन अगर कोई शरारत की गयी है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.’’ अदालत ने मामले पर सुनवाई एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दी. उच्च न्यायालय के पी जॉन नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें टीकाकरण प्रमाणपत्र में गलत जानकारियां देने का आरोप लगाया गया है. उन्होंने वकील सी दिलीप और अनुष्का विजयकुमार के जरिए याचिका दायर की. विजयकुमार ने अदालत को बताया कि उनकी मुवक्किल ने मार्च में टीके की पहली खुराक ली और अप्रैल में दूसरी. दोनों बार टीकाकरण केंद्र अलुवा में था और वह टीका लगवाने के लिए कभी एर्नाकुलम नहीं गयी. यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अच्छा काम कर रहे हैं : भाजपा विधायक मंदा म्हात्रे
लेकिन जब जुलाई में टीका प्रमाणपत्र मिला था तो उसमें दिखाया कि दूसरी खुराक जुलाई में लगायी गयी और वह भी एर्नाकुलम के एक टीकाकरण केंद्र में. याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि उन्होंने प्रमाणपत्र में संशोधन के लिए एर्नाकुलम के जिला चिकित्सा अधिकारी को एक पत्र भेजा और वहां एक अस्पताल को कानूनी नोटिस भेजा जहां टीकाकरण केंद्र स्थित था लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं किया गया. साथ ही याचिकाकर्ता ने सही टीकाकरण प्रमाणपत्र जारी करने के लिए भी अनुरोध किया है.