देश की खबरें | न्यायालय वाहनों के लिए रंग आधारित स्टिकर का दायरा एनसीआर से बाहर बढ़ाने पर करेगा विचार

नयी दिल्ली, चार जनवरी उच्चतम न्यायालय ने वायु प्रदूषण से निपटने की दिशा में वाहनों के लिए होलोग्राम आधारित रंग कोड वाले स्टिकर की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से इतर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी इसे अनिवार्य बनाने पर विचार कर रहा है।

शीर्ष अदालत ने 2018 में, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, जिसमें परिकल्पना की गई थी कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पेट्रोल और सीएनजी का इस्तेमाल करने वाले वाहनों में होलोग्राम-आधारित हल्के नीले रंग के स्टिकर, जबकि डीजल से चलने वाले वाहनों में नारंगी रंग के स्टिकर होंगे।

ईंधन के आधार पर वाहनों की पहचान करने में मदद करने वाले इन स्टिकर में वाहन के पंजीकरण की तारीख भी शामिल होनी थी। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद, केंद्र ने होलोग्राम आधारित स्टिकर की योजना को कानूनी मान्यता देने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 50 और उच्च सुरक्षा पंजीकरण प्लेट (एचएसआरपी) आदेश 2001 में संशोधन किया।

न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई की। पीठ ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए कानून लागू करने पर जोर देते हुए कहा कि रंग-आधारित स्टिकर के निर्देश को लागू करने की जरूरत है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए चरणबद्ध कार्रवाई कार्ययोजना (जीआरएपी) लागू होने के समय डीजल वाहनों की पहचान की जा सकती थी।

पीठ ने कहा कि वह एनसीआर से बाहर के वाहनों के लिए भी इन स्टिकर के निर्देश का दायरा बढ़ाने पर विचार कर सकती है।

पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी पूर्ण शक्तियों का प्रयोग करके 2018 के निर्देश को अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर भी लागू कर सकती है। पीठ ने केंद्र सहित संबंधित पक्षों से इस मुद्दे पर दलीलें रखने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को तय की।

पिछले साल नवंबर में, शीर्ष अदालत ने केंद्र, दिल्ली और एनसीआर के अन्य राज्यों से वाहनों में होलोग्राम-आधारित रंग-कोड वाले स्टिकर के उपयोग पर अपने निर्देश पर अनुपालन अद्यतन करने को कहा था। पीठ ने कहा था कि योजना को सख्ती से लागू करने के लिए 13 दिसंबर, 2023 को दिए गए निर्देश का पालन नहीं किया गया।

एनसीआर राज्यों में राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा शामिल हैं। मामले में ‘न्यायमित्र’ के रूप में शीर्ष अदालत की सहायता कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर चलने वाले 50 प्रतिशत से अधिक वाहनों में रंग-कोड वाले स्टिकर नहीं हैं।

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