देश की खबरें | न्यायालय ने वाईएसआरसीपी के सोशल मीडिया प्रमुख को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान की

नयी दिल्ली, दो दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने युवजन श्रमिक रायतु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के सोशल मीडिया प्रभारी सज्जल भार्गव रेड्डी को सोमवार को दो सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से राहत दी ताकि वह आंध्र प्रदेश में अपने खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों को रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय जा सकें।

रेड्डी द्वारा कई प्राथमिकियों को रद्द करने संबंधी अनुरोध को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालयों को दरकिनार नहीं करना चाहते, वे संवैधानिक अदालतें हैं। हमें किसी से कोई सहानुभूति नहीं है, अगर गलत हुआ है तो उन्हें कानून का सामना करना पड़ेगा।’’

पीठ ने आदेश दिया, ‘‘उच्च न्यायालय में जाने की स्वतंत्रता देते हुए हम याचिका का निपटारा करते हैं। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि उच्च न्यायालय उचित आदेश पारित करने से पहले दोनों पक्षों को सुनेगा। हमने गुण-दोष के आधार पर कोई राय व्यक्त नहीं की है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय अपने पूर्ण विवेक का इस्तेमाल करते हुए अदालत द्वारा दी गई अंतरिम राहत को बढ़ा या अस्वीकार कर सकता है।

रेड्डी ने दावा किया कि चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली राज्य सरकार जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली वाईएसआरसीपी के सदस्यों के खिलाफ असहमति को दबाने के लिए कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग कर रही है।

रेड्डी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और सिद्धार्थ दवे ने दलील दी कि उनके खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकियों में घटना कथित तौर पर फौजदारी कानून लागू होने यानी एक जुलाई से पहले की है।

सिब्बल ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के लागू होने के बाद से एक सप्ताह के भीतर रेड्डी के खिलाफ कई प्राथमिकियां दर्ज की गईं और वह भी सह-आरोपियों के इकबालिया बयानों के आधार पर।

राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने रेड्डी द्वारा मांगी गई राहत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी को पहले ही उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश द्वारा राहत दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि आरोपी हर तरह के बयान दे रहा है और उसके खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं।

पीठ ने लूथरा से कहा कि अगर उन्होंने (रेड्डी ने) कुछ गलत किया है तो उन्हें परिणाम भुगतने होंगे।

रेड्डी ने अपनी याचिका में कहा कि विपक्षी दलों द्वारा व्यक्त असहमति को दबाने के लिए बीएनएस के तहत संगठित अपराध के प्रावधान का दुरुपयोग करते हुए उनके खिलाफ छह प्राथमिकियां (जिसका विवरण उन्होंने याचिका में दिया) दर्ज की गई हैं।

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