नयी दिल्ली, 26 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मादक पदार्थ मामले में आरोपी कनाडा के एक नागरिक को जमानत देते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष बरामद प्रतिबंधित पदार्थ से उसका संबंध जोड़ने में विफल रहा है।
न्यायमूर्ति अमित महाजन ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने कथित अपराध में अभियुक्त की सक्रिय संलिप्तता को साबित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अदालतों से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वे अभियोजन पक्ष के प्रत्येक आरोप को “सत्य” के रूप में स्वीकार करें।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, “इस प्रकार, अभियोजन पक्ष, बरामद प्रतिबंधित सामग्री से याचिकाकर्ता को जोड़ने वाले ठोस सबूत पेश करने या कथित अपराध में उसकी सक्रिय भागीदारी को प्रदर्शित करने में विफल रहा है। स्वीकार किया गया है कि आरोपी से कोई बरामदगी नहीं हुई और ऐसी परिस्थिति में याचिकाकर्ता के सह-आरोपी के संपर्क रहने की वजह से उसपर एनडीपीएस अधिनियम की धारा-37 नहीं लगाई जा सकती।’’
कनाडा के नागरिक मनप्रीत सिंह गिल को स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत उनके खिलाफ 2024 के मामले में राहत मिली है।
गिल का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता अमित साहनी ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है और उनके पास से कोई भी आपत्तिजनक सामग्री बरामद नहीं हुई है।
मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो के अनुसार, 17 जनवरी को एक कूरियर कंपनी के कार्यालय से ऑस्ट्रेलिया भेजे जाने वाले पार्सल से 2.496 किलोग्राम मेथम्फेटामाइन बरामद किया गया।
पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया और 13 किलोग्राम से अधिक नशीला पदार्थ बरामद किया।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि गिल को सह-आरोपियों के बयानों के आधार पर फरवरी में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने एक सह-आरोपी को प्रतिबंधित सामग्री की आपूर्ति की थी, जिसे बाद में कूरियर कंपनी के कार्यालय से बरामद किया गया था।
अदालत ने कहा कि कनाडाई नागरिक अपनी शादी के लिए भारत आया था और हाल ही में वह पिता बना है तथा उस समय उसे अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया था।
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