नयी दिल्ली, सात अक्टूबर मध्य दिल्ली जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने यहां राजेंद्र नगर स्थित एक कोचिंग संस्थान को एक छात्रा को ‘दोषपूर्ण’ सेवाओं के लिए 62,363 रुपये लौटाने के अलावा उसे उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा पहुंचाने के लिए 10,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
आयोग ने पाया कि कोचिंग संस्थान ‘आईएएस गुरुकुल’ को भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने और एकमुश्त शुल्क वसूलने के अलावा अनुचित व्यवहार और दोषपूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराने का दोषी पाया गया।
आयोग के अध्यक्ष इंदर जीत सिंह और सदस्य रश्मि बंसल छात्रा सत्यता की शिकायत पर सुनवाई कर रहे थे, जिन्होंने कहा था कि कोचिंग सेंटर को 98,000 रुपये का भुगतान करने के बाद उन्होंने पाया कि विज्ञापन और सूचना विवरणिका में दी गई जानकारी झूठी और भ्रामक थीं।
हाल में दिए गए आदेश में आयोग ने कहा कि कोचिंग सेंटर का यह दावा कि शिकायतकर्ता ने नौ महीने तक कक्षाएं लीं, उपस्थिति रिकॉर्ड से साबित नहीं होता है और वह भ्रामक विज्ञापनों के आरोपों का खंडन करने में भी विफल रहा।
आयोग ने कहा, ‘‘उसका मानना है कि विपरीत पक्ष (ओपी) (कोचिंग संस्थान) छात्रों को लुभाने के लिए भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने का दोषी है जबकि इसमें किए गए वादों को पूरा करने का इरादा नहीं है।’’
इसने कहा कि क्योंकि शिकायतकर्ता ने चार महीने तक कक्षाएं ली थीं, इसलिए केंद्र को शेष सात महीनों का शुल्क वापस करना होगा।
आयोग ने केंद्र को सात महीने की अप्रयुक्त कक्षाओं के लिए 62,363 रुपये वापस करने, शिकायतकर्ता को हुई मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए मुआवजे के रूप में 10,000 रुपये और मुकदमे की लागत के रूप में 5,000 रुपये देने का निर्देश दिया।
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