इंफाल, तीन जनवरी कांग्रेस की मणिपुर इकाई ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की इस दावे को लेकर आलोचना की कि राज्य के सामने मौजूद चुनौतियां कानून-व्यवस्था की स्थिति से उचित तरीके से निपटने के बजाय पिछली सरकार की विफलताओं के कारण हैं।
यह बयान मुख्यमंत्री के इस दावे के कुछ घंटों बाद आया है कि जो लोग 20 महीने से चल रहे जातीय संघर्ष पर लोगों से उनकी माफी पर राजनीति कर रहे हैं, वे राज्य में अशांति पैदा करना चाहते हैं।
विपक्षी पार्टी ने यह भी कहा कि भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का काम कांग्रेस के कार्यकाल में शुरू हुआ था, न कि भाजपा के कार्यकाल में, जैसा कि मुख्यमंत्री ने दावा किया है।
मणिपुर सरकार और केंद्र सरकार कहती रही हैं कि म्यांमा से घुसपैठ इस पूर्वोत्तर राज्य में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा का एक प्रमुख कारण है, जिसमें पिछले साल मई से अब तक 250 से अधिक लोग मारे गए हैं।
कांग्रेस विधायक दल के नेता ओ. इबोबी सिंह ने संवाददाताओं को बताया, “सरकार और मुख्यमंत्री हमेशा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर झूठे आरोप लगा रहे हैं तथा अपने कर्तव्यों का पालन करने के बजाय दोषारोपण का खेल खेल रहे हैं। अगर उन्होंने हिंसा के लिए माफी मांगी है तो उन्हें इसकी ज़िम्मेदारी भी लेनी चाहिए।”
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को राज्य में जातीय संघर्ष के लिए माफी मांगी और सभी समुदायों से पिछली गलतियों को भूलकर नए सिरे से शुरुआत करने की अपील की।
म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के विषय पर इबोबी सिंह ने कहा कि वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान केंद्र ने 10 किलोमीटर में बाड़ लगाने को मंजूरी दी थी।
कांग्रेस नेता ने कहा, “2013-14 तक 4.2 किलोमीटर बाड़ लगाने का काम पूरा गया। हालांकि, बीरेन सिंह दावा कर रहे हैं कि सीमा पर बाड़ लगाने का काम उनके कार्यकाल में शुरू हुआ था और जो भी काम पूरा हुआ है, उसका श्रेय वे ले रहे हैं।”
इबोबी सिंह 2002 से 2017 तक मणिपुर के मुख्यमंत्री थे। 2017 में भाजपा के सत्ता में आने पर बीरेन सिंह मुख्यमंत्री बने।
इबोबी सिंह ने कहा, “वे दावा कर रहे हैं कि अवैध अप्रवासियों ने केवल कांग्रेस के समय में ही मणिपुर में प्रवेश किया... हालांकि, मुझे बताया गया है कि गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमा में सैन्य तख्तापलट के बाद 2021 में बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी (राज्य में) प्रवेश कर गए।”
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