ताजा खबरें | कांग्रेस ने संविधान को एक ‘परिवार’ की निजी जागीर माना, सत्ता में बने रहने के लिए इसमें संशोधन किया: शाह

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी ने संविधान को एक परिवार की ‘निजी जागीर’ माना और संसद के साथ ‘धोखाधड़ी’ की।

‘भारत के संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा’ पर दो दिवसीय चर्चा पर सरकार का पक्ष रखते हुए शाह ने तुष्टिकरण की राजनीति के लिए भी कांग्रेस पर निशाना साधा और दावा किया कि मुसलमानों को आरक्षण देने के लिए कांग्रेस 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को तोड़ना चाहती है।

उन्होंने कांग्रेस से पूछा कि क्या वह मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन करती है? साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए कभी काम नहीं किया।

शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहले ही उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता ला चुकी है और आने वाले दिनों में इसे सभी राज्यों में लागू करेगी।

उन्होंने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को जिम्मेदार ठहराया गया।

उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी को ईवीएम के खिलाफ झूठी अफवाहें फैलाना छोड़कर सत्ता में लौटने के लिए तुष्टिकरण और परिवारवाद की राजनीति के साथ ही भ्रष्टाचार की अपनी कारगुजारियों पर आंसू बहाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ''पिछले 75 वर्षों में कांग्रेस ने संविधान के नाम पर धोखाधड़ी की... उन्होंने (नेहरू-गांधी परिवार) न केवल पार्टी को अपनी निजी संपत्ति समझा, बल्कि संविधान को अपनी 'निजी जागीर' की तरह माना।’’

शाह ने कांग्रेस शासित दो राज्यों में धर्म के आधार पर आरक्षण लाने के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए इसे 'असंवैधानिक' करार दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘संविधान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं होगा। वे (कांग्रेस) ओबीसी का कोई कल्याण नहीं चाहते हैं, वे 50 फीसदी की सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं।’’

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ''लेकिन आज, एक बार फिर मैं इस सदन में जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि जब तक भाजपा के पास एक भी सांसद है, हम धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देंगे।’’

उन्होंने कहा कि 1955 में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए काका कालेलकर आयोग का गठन किया गया था, लेकिन रिपोर्ट कभी सामने नहीं आई।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर काका कालेलकर आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया होता, तो मंडल आयोग का गठन नहीं किया गया होता। 1980 में मंडल आयोग की सिफारिशें सामने आईं, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया। यह तब लागू किया गया, जब 1990 में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सत्ता में बने रहने और अपने फायदे के लिए संविधान में संशोधन किया।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कांग्रेस पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि इसने पिछड़े वर्गों के लाभ के लिए कभी काम नहीं किया।

प्रारंभ में उन्होंने कहा कि संविधान ने लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया है और सत्ता का हस्तांतरण खून की एक बूंद बहाए बिना होता है।

शाह ने कांग्रेस द्वारा संविधान में किए गए कई संशोधनों का जिक्र करते हुए दावा किया कि पार्टी ने अपने फायदे के लिए ऐसा किया।

उन्होंने दावा किया कि देश में पहले चुनाव से पहले ही जवाहरलाल नेहरू ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रोकने के लिए पहला संविधान संशोधन किया।

शाह ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए मुस्लिम महिलाओं को वर्षों तक उनके अधिकारों से वंचित रखा।

शाह ने कहा, ''उन्होंने (कांग्रेस ने) एक परिवार का महिमामंडन करने के अलावा कुछ नहीं किया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने सिर्फ अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए 'निर्लज्जता' से संविधान में कई संशोधन किए, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकारों ने देश व समाज के विभिन्न वर्गों को मजबूती प्रदान करने के लिए किए।

उन्होंने कहा कि भाजपा ने 16 साल देश पर शासन किया और उसने 22 बार संविधान में संशोधन किया, वहीं कांग्रेस ने 55 साल राज किया और 77 बार संविधान में परिवर्तन किया।

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा और कांग्रेस दोनों ने परिवर्तन किए, लेकिन परिवर्तन का उद्देश्य क्या था? क्या हासिल करना था? क्या हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए यह परिवर्तन किए गए? जिन्हें अधिकार नहीं है ऐसे लोगों को समान अधिकार देने के लिए परिवर्तन किए गए? या अपनी राज सत्ता को बचाने के लिए? इसी से पार्टी का चरित्र, पार्टी के चलने की पद्धति और पार्टी का संविधान के प्रति विश्वास परिलक्षित हो जाएगा।’’

शाह ने इस क्रम में कांग्रेस की ओर से किए गए चार और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान किए गए चार संशोधनों का जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने बहुत सोच समझकर कहा था कोई संविधान कितना भी अच्छा हो वह बुरा बन सकता है, अगर जिन लोगों पर उसको चलाने की जिम्मेदारी है, वह अच्छे ना हो।

उन्होंने कहा कि उसी तरीके से कोई संविधान कितना भी बुरा हो वह अच्छा साबित हो सकता है, अगर उसे चलाने वालों की भूमिका सकारात्मक और अच्छी हो।

उन्होंने कहा कि पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय संविधान में पहला संशोधन किया गया और उसमें 19ए जोड़ा गया।

उन्होंने कहा कि ये संशोधन अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने के लिए किया गया।

उन्होंने कहा कि इसी तरह 24वां संशोधन किया गया और इसके माध्यम से नागरिकों के मौलिक अधिकार कम कर दिए गए।

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने सिर्फ अपने उद्देश्य के लिए निर्लज्जता के साथ संविधान में कई संशोधन किए।’’

उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए कांग्रेस ने किया कि उसने पार्टी को निजी परिवार की जागीर तो समझा ही, देश के संविधान को भी अपनी ‘जागीर’ समझते रहे।

संविधान को मजबूत करने के लिए देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराये जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए शाह ने कहा कि यदि ‘इंडिया’ के चश्मे से देखा जाए, तो भारत को कभी नहीं समझा जा सकता। उन्होंने ईवीएम पर सवाल उठाने वाले विपक्षी दलों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उन्हें शर्म करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत का संविधान किसी की नकल नहीं है।

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में विभिन्न देशों के संविधानों की अच्छी बात लेने के साथ-साथ इसमें अपने देश की परंपराओं का पूरा ध्यान रखा गया है।

गृह मंत्री ने गुलामी की मानसिकता से निकलने पर बल देते हुए कहा, ‘‘अगर इंडिया के चश्मे से देखोगे ,तो भारत कभी समझ नहीं आएगा। पूरा जीवन निकल जाएगा। इसीलिए इन्होंने (विपक्षी दलों ने) अपने गठबंधन का नाम भी इंडिया रखा है।’’

शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिये बिना उनकी ओर संकेत करते कहा, ‘‘अभी कुछ राजनेता आये हैं, 54 साल की आयु में अपने को युवा कहते हैं। घूमते रहते हैं और (कहते हैं कि सत्तारूढ़ दल वाले) संविधान बदल देंगे, संविधान बदल देंगे। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि संविधान बदलने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 368 में ही है।’’

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इस पार्टी के लोग चुनाव हारने के बाद ईवीएम को लेकर घूमते हैं कि ईवीएम ने हरा दिया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ईवीएम संबंधी 24 अर्जियों को नकार दिया तथा निर्वाचन आयोग ने तीन दिन तक ईवीएम को हैक करने के लिए लोगों को आमंत्रित किया, किंतु कोई नहीं आया।

उन्होंने कहा कि हाल में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्ष का सूपड़ा साफ हो गया। उन्होंने किसी का नाम लिये बिना कहा कि जो द्रोह जनादेश के साथ किया गया, उसका दंड महाराष्ट्र की जनता ने दिया।

शाह ने कहा, ‘‘उसी दिन वो (कांग्रेस) झारखंड में जीते। महाराष्ट्र में ईवीएम खराब है और झारखंड में टप्प से जाकर, नये कपड़े पहन कर शपथ ले ली। अरे भाई जरा तो शर्म करो, जनता देख रही है।’’

उन्होंने देश में आपातकाल लगाये जाने और चुनी हुई सरकार को अनुच्छेद 356 लगाकर गिराने को लेकर कांग्रेस की आलोचना की।

गृह मंत्री ने कांग्रेस को आरक्षण विरोधी करार देते हुए कहा कि उसने कभी पिछड़े वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए काम नहीं किया।

उन्होंने कहा कि संविधान ने देश में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया है और देश में सत्ता का हस्तांतरण खून की एक बूंद बहाये बिना किया गया।

शाह ने कांग्रेस तथा विपक्षी दलों को धर्म के नाम पर आरक्षण देने का प्रयास करने के खिलाफ आगाह करते हुए कहा कि जब तक संसद में भाजपा का एक भी सांसद है, तो ‘‘हम धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं करने देंगे।’’

संविधान संशोधन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नेहरू सरकार ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तो बनाया, किंतु अपराध के मामले में शरिया के नियमों को लागू नहीं किया। उन्होंने कहा कि देश में तुष्टीकरण की शुरुआत तो उसी दिन से हो गयी थी, जब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बना था।

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस पर संविधान का सम्मान नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस संविधान का सम्मान करेगी, तो उसका भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण चल ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टी यदि इन तीनों को छोड़ दे, तो वह चुनाव जीतना शुरू कर देगी।

उन्होंने केंद्र की नरेन्द्र मोदी नीत सरकार द्वारा पिछले दस वर्षों में किए गए संविधान संशोधनों के द्वारा जनता को मिले लाभ का भी उल्लेख किया।

ब्रजेन्द्र माधव

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