कोलकाता, 26 अगस्त विश्व भारती यूनिवर्सिटी फैकल्टी एसोसिएशन (वीबीयूएफए) ने बुधवार को आरोप लगाया कि कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती ने टैगोर के शिक्षा केंद्र में मुक्त विचारों के आदान प्रदान पर रोक लगा दी है।
वीबीयूएफए ने चक्रवर्ती को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय में अब ‘‘निर्भय मन’’ की अवधारणा का अस्तित्व नहीं बचा है।
वीबीयूएफए का यह पत्र, पौष मेला मैदान के साथ लगती एक चारदीवारी बनाने के विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्णय के मद्देनजर विश्व भारती की संपत्ति की तोड़फोड़ किये जाने की घटना के करीब एक हफ्ते बाद आया है।
अखिल भारतीय कॉलेज शिक्षकों के निकाय एआईएफयूसीटीओ से संबद्ध वीबीयूएफए ने कहा कि कुलपति ने लगभग दो महीनों के अंतराल में नौ संदेश (पत्र) भेजे हैं और आरोप लगाया कि कुलपति के संदेश और फैकल्टी के प्रति रवैये मेल नहीं खाते।
वीबीयूएफए ने बुधवार को कुलपति को भेजे पत्र में कुलपति के ही एक पत्र का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने टैगोर को उद्धृत करते हुए कहा है, ‘जहां मन बिना भय के होता है और सिर ऊंचा रहता है।’’ वीबीयूएफए ने कहा, ‘‘आप एक ओर कवि को उद्धृत करते हैं और विश्व-भारती के हितधारकों को उनके मूल्यों का अनुकरण करने के लिए कहते हैं, जबकि दूसरी ओर आप उनके अधिकारों एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विचारों के आदान-प्रदान की भावना को कुचल देते हैं..., इस तरह से टैगोर के जीवन और शिक्षा के दर्शन की उपेक्षा हो रही है।’’
वीबीयूएफए ने कहा, ‘‘कुलपति ने अपने पत्रों को सार्वजनिक किया है जिन पर विश्वभारती के कुलपति की प्रामाणिक मुहर हैं, जबकि संकाय सदस्यों और अन्य कर्मचारियों को भारत सरकार के नियमों का हवाला देते हुए सार्वजनिक रूप से अपने विचारों को जारी करने की अनुमति नहीं है।’’
इसमें आरोप लगाया गया है कि चक्रवर्ती ने अपने खुले पत्रों द्वारा विश्व भारती समुदाय की प्रतिष्ठा को कमतर किया है।
.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)