नयी दिल्ली, 24 मार्च सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में व्यवधान पर अफसोस जताते हुए शुक्रवार को कहा कि सदस्यों को आत्मचिंतन करना चाहिए और ‘‘लोकतंत्र के मंदिर’’ में चर्चा एवं संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।
उन्होंने अफसोस जताया कि ‘‘लोकतंत्र के मंदिर’’ में चर्चा एवं बहस नहीं हो पा रही है।
उन्होंने कहा कि संसद के समय का सदुपयोग होना चाहिए और लोगों से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए इस मंच का उपयोग किया जाना चाहिए।
सभापति ने कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण पर चर्चा के लिए कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) के सदस्यों ने उनसे चर्चा के लिए 12 घंटे का समय निर्धारित करने का अनुरोध किया था।
उन्होंने कहा कि उस अवधि के दौरान सदस्य चर्चा में लोगों से जुड़े विभिन्न मुद्दे उठा सकते थे और उस समय का समुचित उपयोग हो सकता है।
धनखड़ ने कहा कि देश संसद की ओर देख रहा है और दुनिया भारतीय लोकतंत्र की सराहना करती है, वह भी हमारी ओर देख रही है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में सदस्यों को गंभीरता से आत्मचिंतन करना चाहिए एवं सदन में चर्चा में हिस्सा लेना चाहिए।
उन्होंने संविधान सभा की तीन साल तक चली बहस का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय कई विवादित मुद्दे भी थे जिन पर चर्चा की गई।
उन्होंने कहा कि भारी मतभेद होने के बाद भी चर्चा में कभी व्यवधान नहीं आया और न ही सदस्यों ने आसन के समीप आकर नारेबाजी की, न ही तख्तियां दिखाई।
सभापति ने शुक्रवार को गैर-सरकारी कामकाज नहीं होने पर अफसोस भी जताया।
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को दोपहर बाद ढाई बजे से शाम पांच बजे तक का समय गैर-सरकारी कामकाज के लिए निर्धारित होता है और इस दौरान सदस्यों को अपनी बात कहने का मौका मिलता है, वहीं सरकार को जवाब देना होता है।
उन्होंने कहा कि संसद सदस्यों को अभिव्यक्ति का भी अधिकार है और उन्हें उसका उपयोग करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संसद का उपयोग लोगों से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए नहीं किया गया तो बनने वाली रिक्तता दूसरे तरीके से भरेगी जो लोकतंत्र के लिए उचित नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि विभिन्न मुद्दों को लेकर उच्च सदन में बना गतिरोध शुक्रवार को भी बना रहा। हालांकि भोजनावकाश के बाद कुछ देर सदन में सुचारू रूप से गैर सरकारी कामकाज हुआ। इस दौरान इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) सदस्य अब्दुल वहाब के एक निजी संकल्प पर चर्चा पूरी हुई।
इसके बाद सभापति ने अपने निजी संकल्प पेश करने के लिए कांग्रेस सदस्यों शक्तिसिंह गोहिल व विवेक तन्खा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के ए ए रहीम और वी शिवदासन तथा भाजपा के सुशील कुमार मोदी के नाम पुकारे। लेकिन ये सभी सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे जिसके कारण उनके संकल्प पेश नहीं हो सके।
इस वजह से सदन की कार्यवाही निर्धारित समय से पहले ही अपराह्न तीन बजकर करीब 50 मिनट पर दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
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