नयी दिल्ली, 28 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने यौन उत्पीड़न की शिकार एक युवती की याचिका पर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें इस आधार पर मुआवजे की राशि बढ़ाने का अनुरोध किया गया है कि वह दुष्कर्म के कारण एचआईवी से संक्रमित हो गई।
न्यायमूर्ति संजीव नरुला ने दिल्ली सरकार, उसके महिला एवं बाल कल्याण विभाग और दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को नोटिस जारी किया है।
अदालत ने प्राधिकारियों को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई सात जनवरी, 2025 तक के लिए स्थगित कर दी।
याचिका में कहा गया है कि यौन उत्पीड़न के कारण पीड़िता एचआईवी से संक्रमित हो गई और वह भारी-भरकम चिकित्सा खर्चों का बोझ झेलने के साथ-साथ गंभीर शारीरिक और मानसिक आघात का सामना कर रही है।
घटना के बाद, पुलिस ने 2017 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की थी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि पीड़ित मुआवजा योजना में, उत्पीड़न के परिणामस्वरूप यौन संचारित रोग (एसटीडी) या ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) संक्रमण होने पर विशेष रूप से कोई मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है।
पीड़िता ने कहा कि दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना के तहत उसे अंतरिम मुआवजे के रूप में 1.75 लाख रुपये मिले थे। पीड़िता ने उच्च न्यायालय से मुआवजा राशि बढ़ाने का निर्देश देने का आग्रह किया।
पीड़िता के वकील ने उच्च न्यायालय को यह भी बताया कि 2013 में एक निचली अदालत के आदेश के बाद 11 नवंबर को उसे एक लाख रुपये का अतिरिक्त अंतरिम मुआवजा मिला था।
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