नयी दिल्ली, 31 मार्च : सरकार ने बृहस्पतिवार को संसद में कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को किसी फिल्म को प्रतिबंधित करने का अधिकार नहीं है लेकिन वह दिशानिर्देशों के उल्लंघन को लेकर किसी फिल्म को प्रमाणन देने से मना कर सकता है. बोर्ड ने 2014 से छह फिल्मों को प्रमाणन देने से मना किया है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि किसी फिल्म का प्रदर्शन राज्य का विषय है और राज्य सरकार प्रदेश में फिल्मों के लाइसेंस जारी करने और प्रदर्शन से संबंधित अन्य मामलों हेतु अधिकृत है.
उन्होंने कहा कि किसी फिल्म को प्रतिबंधित करने का अधिकार सीबीएफसी के पास नहीं है. तथापि, सीबीएफसी चलचित्र कानून, 1952 के तहत जारी किए गए दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए सार्वजिक प्रदर्शन हेतु किसी फिल्म को प्रमाणन देने से मना कर सकता है. मंत्री ने कहा कि बोर्ड ने 2014 से अब तक केवल छह फिल्मों को प्रमाणन देने से मना किया है. यह भी पढ़ें : बालचन्द्र कुमार ने साजिश का खुलासा करने में चार साल क्यों लगाए , क्या इसमें कोई गलत मंशा नहीं है : अदालत
उन्होंने कहा कि 2014-15 में एक, 2016-17 में दो, 2018-19 में दो और 2019-20 में एक फिल्म को प्रमाणन देने से मना किया गया है. उन्होंने कहा कि चलचित्र अधिनियम, 1952 व चलचित्र (प्रमाणन) नियम, 1983 और उनके तहत जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार फिल्मों के प्रमाणन के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया है और फिल्मों के खिलाफ शिकायतों का निपटान चलचित्र अधिनियम, 1952 के प्रावधानों के अनुसार किया जाता है.