मुंबई, 24 जुलाई बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के वास्ते सामाजिक दूरी और अन्य नियमों का पालन न करने के लिए केवल भिखारियों को ही दोष नहीं दिया जा सकता क्योंकि इन नियमों का पालन तो अभिजात्य वर्ग के लोग भी नहीं कर रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंड पीठ ने पुणे के एक निवासी ध्यानदेश्वर दरवटकर की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
याचिकाकर्ता ने चिंता जताई थी कि भिखारी लोगों से भीख मांगते समय सामाजिक दूरी और मास्क का ध्यान नहीं रख रहे हैं।
दरवटकर के वकील शेखर जगताप ने अदालत को बताया कि ऐसे लोगों से कोविड-19 फैलने का खतरा ज्यादा है क्योंकि वे किसी नियम का पालन नहीं कर रहे।
पीठ ने याचिकर्ता को “संवेदनशील” होकर सोचने को कहा।
अदालत ने कहा कि जब पूरा देश कठिन समय से गुजर रहा है तब केवल भिखारियों को निशाना बनाना ठीक नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश दत्त ने कहा, “केवल भिखारियों को ही दोष क्यों दिया जाए? सभ्य और अभिजात्य वर्ग के लोग भी सामाजिक दूरी के नियम का पालन नहीं कर रहे हैं।”
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)