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विदेश की खबरें | बाइडन वीर सैनिकों को ‘मेडल ऑफ ऑनर’ और ‘मेडल ऑफ वैलोर’ से सम्मानित करेंगे

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. ‘मेडल ऑफ ऑनर’ अमेरिकी सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च सैन्य सम्मान है जबकि ‘मेडल ऑफ वैलोर’ दूसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है।

एजेंसी न्यूज Bhasha|
विदेश की खबरें | बाइडन वीर सैनिकों को ‘मेडल ऑफ ऑनर’ और ‘मेडल ऑफ वैलोर’ से सम्मानित करेंगे
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

‘मेडल ऑफ ऑनर’ अमेरिकी सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च सैन्य सम्मान है जबकि ‘मेडल ऑफ वैलोर’ दूसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है।

सेना के जवान ब्रूनो आर. ओरिग 15 फरवरी, 1951 को एक मिशन से लौट रहे थे, जब उन्होंने अपने साथी सैनिकों पर हमला होते देखा था। इस हमले को अब चिपयोंग-नी की लड़ाई के रूप में जाना जाता है।

पैदल सैनिक ने कोरियाई युद्ध में घायल हुए अपने साथियों को प्राथमिक उपचार प्रदान किया और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाने में मदद की। उस दिन बाद में जब जमीन पर पुनः कब्जा किया गया तो ओरिग को मृत पाया गया। ओरिंग के शव के पास उन शत्रु लड़ाकों के शव भी पड़े थे जिन्हें उसने मार गिराया था।

ओरिग को ‘मेडल ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया जाएगा। युद्ध के समय निस्वार्थ भाव और वीरता के साथ दुश्मनों का सामना करने के लिए उन्हें इस सम्मान से नवाजा जायेगा।

बाइडन व्हाइट हाउस में आयोजित एक समारोह में छह सैनिकों को मरणोपरांत और एक जीवित जवान को ‘मेडल ऑफ ऑनर’ प्रदान करेंगे।

ओवल ऑफिस में आयोजित एक अलग समारोह में बाइडन उन आठ लोगों को वीरता पदक (मेडल ऑफ वैलोर) से सम्मानित करेंगे, जिन्होंने दूसरों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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‘मेडल ऑफ ऑनर’ अमेरिकी सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च सैन्य सम्मान है जबकि ‘मेडल ऑफ वैलोर’ दूसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है।

सेना के जवान ब्रूनो आर. ओरिग 15 फरवरी, 1951 को एक मिशन से लौट रहे थे, जब उन्होंने अपने साथी सैनिकों पर हमला होते देखा था। इस हमले को अब चिपयोंग-नी की लड़ाई के रूप में जाना जाता है।

पैदल सैनिक ने कोरियाई युद्ध में घायल हुए अपने साथियों को प्राथमिक उपचार प्रदान किया और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाने में मदद की। उस दिन बाद में जब जमीन पर पुनः कब्जा किया गया तो ओरिग को मृत पाया गया। ओरिंग के शव के पास उन शत्रु लड़ाकों के शव भी पड़े थे जिन्हें उसने मार गिराया था।

ओरिग को ‘मेडल ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया जाएगा। युद्ध के समय निस्वार्थ भाव और वीरता के साथ दुश्मनों का सामना करने के लिए उन्हें इस सम्मान से नवाजा जायेगा।

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